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सिकंदराराऊ : कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को संतान की दीर्घायु एवं सुखी जीवन के लिए रखा महिलाओं द्वारा निर्जला व्रत रखा जाता है।इसे अहोई अष्टमी नाम से जाना जाता है।अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद और दीपावली से 8 दिन पहले रखा जाता है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार इस बार अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर प्रातः 01:18 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन प्रातः 01:58 मिनट तक रहेगी,तथा पूजन का शुभ मुहूर्त सांय 05:42 मिनट से सांय 06:59 मिनट तक लगभग एक घंटा 17 मिनट की अवधि तक रहेगा।वहीं इस अहोई अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि और गुरु पुष्य एवं साध्य योग का संयोग बनेगा ज्योतिष शास्त्र में इस तरह के योगों को बहुत ही शुभ और फलदायी माना गया है।इन शुभ संयोगों में विधि पूर्वक भगवान विष्णु,मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, वहीं गुरु पुष्य योग में आभूषण,वाहन,घर,जमीन की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है,मान्यता है कि इस योग में क्रय किया गया आभूषण समय के साथ कई गुना वृद्धि देता है। वहीं इस योग में चने की खरीदारी करने से घर में सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होगी,साथ ही कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होंगे और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।अहोई अष्टमी व्रत के महत्व को लेकर स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि अहोई देवी की पूजा तारों की छाँव में की जाती है अतः सांय 06:06 मिनट से तारों के एवं रात्रि 11:59 पर चंन्द्रोदय के दर्शन होंगे। इस व्रत को करने से संतान की आयु बढ़ने के साथ निरोगी जीवन मिलता है।अष्टमी तिथि पर पूजन तीर्थ स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है,इस दिन लक्ष्मी और नारायण की पूजा एवं हवन के साथ श्री यंत्र पूजा और लक्ष्मी पूजा करने से सुख,समृद्धि एवं धन धान्य से परिपूर्ण होकर खुशहाली आती है।

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INPUT – VINAY CHATURVEDI