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हाथरस। वैसे तो सभी पूर्णिमा स्नान,दान का अपना अपना महत्त्व रखती हैं लेकिन सनातन धर्म में अश्विन माह की पूर्णिमा का विशेष महत्त्व है,इसे शरद पूर्णिमा अथवा कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।मान्यता है कि इस पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा से अमृत बरसता है।इस बार शरद पूर्णिमा तिथि को लेकर भी संशय बना हुआ है।

वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार प्रदोष एवं अर्धरात्रि व्यापिनी आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा एवं कोजागर व्रत किया जाता है।यदि पूर्णिमा पहले दिन केवल निशीथ व्यापिनी और दूसरे दिन केवल प्रदोष व्यापिनी हो, तो दूसरे दिन कोजागर व्रत होगा, क्योंकि इस व्रत में किए जाने वाले लक्ष्मीपूजन का काल प्रदोष में ही लिखा है। दिवा तत्र न भोक्तव्यं ऋते बाला तुराज्जनात्। प्रदोषसमये लक्ष्मी पूजयित्वा यथाक्रमम्। दूसरे दिन प्रदोष व्याप्ति के अभाव में और पहले दिन निशीथ व्याप्ति में पूर्णिमा तिथि हो तो पहले दिन ही यह व्रत किया जाए ऐसा शास्त्र निर्देशित है। अतः आज यह तिथि पूर्णतः अर्धरात्रि को व्याप्त करती है और कल पूर्णिमा तिथि सूर्यास्त से पूर्व सायं 04:55 मिनट पर ही समाप्त हो जायेगी। अतः आज बुधवार को ही शरद पूर्णिमा और कोजागरी व्रत रखना श्रेष्ठ रहेगा, गुरुवार 17 अक्टूबर को स्नान दान करना श्रेष्ठ रहेगा । आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि आज रात्रि 08:40 मिनट पर प्रारंभ होगी तथा रवि योग प्रातः 06:23 से सांय 07:18 बजे तक रहेगा। ज्योतिष में इस योग को बेहद शुभ माना जाता है,इस योग में चंद्र देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही सभी प्रकार के मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग बहुत शुभ माना जाता है,क्योंकि शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा पूरी 16 कलाओं से युक्त होता है। यह दिन देवताओं के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती है जिस घर में शुद्ध ह्रदय से पूजा होती है वहाँ स्थाई रूप से निवास करती है इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। इस रात चन्द्रमा का विशेष प्रभाव होता है और उसकी किरणों में अद्भुत ऊर्जा होती है इसके औषधीय गुणों की वजह से ही इस दिन खुले आसमान में खीर रखकर प्रातः भोग के रूप में सेवन किया जाता है। इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है,वहीं इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि को शरद पूर्णिमा व्रत रखकर पूर्ण रात्रि जागरण कर देवी लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से धन सम्बन्धी समस्याओं का अंत होता है। इस रात्रि भगवान विष्णु और लक्ष्मी का मिलन हुआ था भगवती लक्ष्मी ने वरदान माँगा कि इस रात्रि जो भी व्यक्ति जग कर मेरा पूजन करें उसे कभी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह दिन प्रेम विश्वास और भक्ति का प्रतिक है।