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अलीगढ। भाद्रपद महीने की अमावस्या तिथि को पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन गंगा स्नान और दान के साथ पितरों की पूजा का विशेष महत्व है।इस बार अमावस्या दो दिन मनायी जा रही है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दो दिवसीय अमावस्या के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अमावस्या तिथि 02 सितंबर प्रातः 05:21 मिनट पर प्रारंभ होकर अगले दिन 3 सितंबर प्रातः 07:24 पर समाप्त होगी। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:38 मिनट से प्रातः 05:24 मिनट तक रहेगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार पितृ कार्यों के साथ कुशा के उत्पाटन एवं देव वृक्ष परिक्रमा के लिए अमावस्या 2 सितंबर को तथा जो लोग देव पूजा हेतु अमावस्या का व्रत पूजन करना चाह रहे हैं वह 3 सितंबर को अमावस्या तिथि को मान सकते हैं,इसी दिन गंगा स्नान रहेगा।
इस अमावस्या पर बनने वाले शुभ योगों के विषय में स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि अमावस्‍या के पहले दिन सोमवार का दिन होने से सोमवती अमावस्‍या होगी इस दिन शिव योग प्रातः काल से प्रारंभ होकर सांय 06:20 मिनट तक रहेगा वहीं सिद्ध योग सांय 06:20 मिनट से रात तक रहेगा। दूसरे दिन 3 सितंबर को सिद्ध योग सुबह से लेकर सांय 07:05 मिनट तक रहेगा और साध्‍य योग शाम 07:05 मिनट से 4 सितंबर रात्रि 08:03 बजे तक रहेगा।
इस सप्ताह ग्रहों के राजा सूर्य पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में,शुक्र हस्त नक्षत्र में बुध ग्रह का सिंह राशि में गोचर होगा।
इस अमावस्या पर पूजा पाठ के विषय में स्वामी जी ने बताया कि प्रातः दैनिक कार्यों से निवृत होकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद अपने पूर्वजों का तर्पण आदि कर ब्राह्मण को भोजन,वस्त्र और धन का दान करने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है मान्यता है कि इस दिन पितृ श्राद्ध करने से जीवन में हर तरह का सुख और ऐश्वर्य देता है। गरीब या जरूरतमंद को अपनी क्षमता अनुसार दान देना चाहिये।

इनपुट : विनय चतुर्वेदी