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सिकंदराराऊ : दिव्य ज्योति जागृती संस्थान द्वारा बारहसैनी में आयोजित पांच दिवसीय श्री हरि कथा के दूसरे दिन गुरुदेव आशुतोश जी महाराज की शिष्या साध्वी विदुषी मोहिनी भारती ने प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त श्री हनुमान के जीवन चरित्र के माध्यम से समझाया कि हनुमान जी जो अथाह बल और शक्ति के स्वामी थे। उन्होंने अपनी शक्तियों को संसार में न लगाकर प्रभु कार्य व प्रभु सेवा में लगाकर यह संदेश दिया कि इंसान के अंदर कोई भी गुण है। चाहे वह सुंदर गाता है ,अच्छा वक्ता है, वह गुण भगवान का दिया हुआ है। इसलिए वह गुण संसार के साथ-साथ प्रभु की सेवा में भी लगाना चाहिए। जब यह गुण भगवान की सेवा में लगता है तो यह सीमित होकर नहीं रहता, इसका विकास हो जाता है । भक्त हनुमान जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रभु श्री राम के चिंतन एवं प्रभु सेवा में लगा दिया। सेवा के प्रति ऐसी आतुरता थी। जब कोई सेवा नहीं मिली तो प्रभु प्रेरणा से चुटकी बजाने की सेवा को भी बड़े ही प्रेम से और लगन से निभाया और इस सेवा के माध्यम से वास्तविक कर्म करने का मानव जाति को संदेश दिया। इंसान जिसे कर्मशील प्राणी कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति कर्म किए बिना नहीं रह सकता। उसका खाना, पीना , बैठना, चलना सभी कर्म है ,पर यह कार्यक्रम इंसान को बंधनों में बांधते हैं। पर भक्ति कर्म ऐसा है, जो 84 के बंधन से मुक्त करता है। लेकिन भक्ति कहते किसे हैं, भक्ति शब्द का अर्थ होता है जुड़ जाना , किससे जुड़ना है। भगवान से जुड़ना है और भगवान से कब जुड़ेंगे जब भगवान को देख लेंगे, उसका दर्शन कर लेंगे।
कथा का शुभारंभ प्रभु की सुंदर सी भक्ति रचनाओं के माध्यम से किया गया। साध्वी वेदवाणी भारती, साध्वी सुशीला भारती ने भजन गायन किया।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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