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चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आरोग्य की देवी माँ शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बासी भोग का प्रसाद होने के कारण इसे बासोड़ा के नाम से भी जाना जाता है।ऋतु परिवर्तन के साथ शारीरिक एवं मानसिक रोग उत्पन्न होने लगते हैं माना जाता है कि होली के उपरांत चर्म रोगों की अधिकता देखने को मिलती है,इसलिए इस दिन महिलाएं अपने परिवार व संतान की लंबी आयु के लिए की कामना करती हैं और देवी शीतला पूजा के बाद बच्चों को चेचक, खसरा और आंखों की बीमारियों का प्रकोप कम हो जाता है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार शीतला देवी की पूजा होली के 8 दिन बाद शीतला माता की पूजा की जाती है परम्परा के अनुसार यह सप्तमी और अष्टमी दोनों दिन की जा सकती है,लेकिन होली बाद पड़ने वाले पहले सोमवार या गुरुवार के दिन भी देवी शीतला की पूजा का विधान है।
इस बार शीतला सप्तमी सोमवार 1 अप्रैल को तथा कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 2 अप्रैल मंगलवार की रहेगी अतः देवी शीतला की पूजा किसी भी दिन कर सकते हैं।पूजा के मुहूर्त और विधान को लेकर स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने बताया कि शीतला देवी को शीतलता का प्रतीक माना जाता है इसलिए सूर्य का तेज बढ़ने से पहले ही इनकी पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है। उन्होंने बताया कि होली पर बनाये हुए पकवान और मिष्ठान के सहित शीतला माता को दिन के एक प्रहर में बासी व ठंडे प्रसाद का भोग लगाया जाता है,इसलिए एक दिन पहले बनाए गए भोजन का भोग शीतला माता को लगाते हैं और उसी भोग को प्रसाद स्वरुप ग्रहण किया जाता है। देवी शीतला की पूजा के लिए प्रातः कालीन क्रियाओं से निवृत होकर ठंडे पानी से स्नान करें।पूजा वाली जगह में गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा सहित सप्तमी को बने मीठे चावल रखें। एक अन्य थाली लेकर आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, गुझिया आदि रखकर मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाकर रोली और हल्दी का टीका करें।आटे के दीपक को बिना जलाए देवी को अर्पित कर थोड़ा जल चढ़ाएं और बचे हुए जल को घर के सभी सदस्यों की आंखों पर लगाकर छिड़काव करें बाद होलिका दहन वाली जगह पर भी जाकर पूजा करें। वहां थोड़ा जल और पूजन सामग्री चढ़ाएं। तत्पश्चात घर के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर हल्दी के पाँच पाँच छापे लगाएं,और शीतला सप्तमी की कथा अवश्य सुनें इससे देवी की कृपा बनी रहेगी और रोगों से निवृत्ति मिलेगी।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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