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सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने से सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती जिसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस वर्ष लगने वाले दो सूर्यग्रहण में एक अप्रैल माह में लगा था वहीं दूसरा सूर्यग्रहण अश्विन माह की अमावस्या तिथि यानि 14 अक्टूबर सांय 04:34 से प्रारंभ होकर मध्य रात्रि 02:25 पर समाप्त होगा।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार यह सूर्यग्रहण उपच्छाया कंकणाकृति होगा, जो कि भारत देश में नहीं देखा जाएगा जिसके कारण इस ग्रहण के सूतक भारत में मान्य नहीं होंगे कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगने वाला यह सूर्यग्रहण भारत के अलावा टेक्सास से शुरू होकर मेक्सिको के साथ ही मध्य अमेरिका, कोलंबिया और ब्राजील के कुछ हिस्सों से होकर गुजरता हुआ अलास्का और अर्जेंटीना,उत्तरी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, अर्जेटीना, कोलंबिया, क्यूबा, बारबाडोस, पेरु, उरुग्वे, एंटीगुआ, वेनेजुएला, जमैका, हैती, पराग्वे, ब्राजील, डोमिनिका, बहामास तक दिखाई देगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि खगोलीय और धार्मिक दोनों दृष्टि से सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है मान्यता के अनुसार ग्रहण के सूतक काल का बड़ा महत्व होता है, इसलिए इस दौरान कुछ भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है भारत में यह ग्रहण नहीं देखे जाने के कारण इसके सूतक मान्य नहीं होंगे परंतु संक्रमण काल के दौरान सूतक के प्रभाव से बचने के लिए सावधानी बरतें।
INPUT- VINAY CHATURVEDI