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सिकंदराराऊ : ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर कर्मफलदाता, सूर्यपुत्र और न्याय के कारक भगवान शनि की जयंती मनाई जाती है। ज्योतिशास्त्र में शनि ग्रह का खास महत्व होता है। सभी नौ ग्रहों में शनि सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं और इन्हे क्रूर ग्रह माना जाता है।
शनि अमावस्या पर्व की विशेष जानकारी देते हुए वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि अमावस्या तिथि 18 मई सांय 07:37 मिनट से प्रारम्भ हो चुकी है जो कि आज सांय 06:17 मिनट तक रहेगी।पंचाग के अनुसार आज सांय 06:16 मिनट तक शोभन योग रहेगा। इसके अलावा शनिदेव स्वंय की राशि कुंभ में रहते हुए शश राजयोग का निर्माण करेंगे वहीं मेष राशि में गुरु और चंद्रमा की युति से गजकेसरी राजयोग बनने के कारण आज का दिन अत्यंत शुभ रहने वाला है।बनेगा। शनिदेव व्यक्तियों को उनके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं।जिन जातकों की कुंडली में शनि की छाया अशुभ होती है या फिर कुंडली में तिरछी द्दष्टि पड़ती है उन्हें कई तरह की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। शनिदेव किसी एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं फिर इसके बाद दूसरी राशि की यात्रा शुरू करते हैं। ऐसे में भगवान शिव के रुद्राभिषेक से सभी प्रकार के अशुभ योग कुंडली से दूर हो जाते हैं।
आज ही के दिन एक अत्यंत विशेष पर्व वट सावित्री व्रत के बारे में स्वामी जी ने बताया कि इस पर्व पर शश योग, गजेकसरी योग और शोभन योग का संयोग बनने के कारण कई राशियां लाभान्वित होंगी। साथ ही स्वामी जी ने वट वृक्ष कि टहनी को तोड़कर परिक्रमा लगाने वाले भक्तों को जानकारी स्पष्ट करते हुए कहा कि इस दिन किसी वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए परन्तु वृक्ष से टहनी तोड़ने के पश्चात लगाई गयी परिक्रमा पाप के भागीदार बनाती है, किसी भी वृक्ष को सनातन में काटकर या तोड़कर पूजन करना निषेध माना गया है।