Visitors have accessed this post 125 times.

हाथरस। राष्ट्रीय संत गणधर आचार्य 108 श्री पुष्पदंत जी महाराज फिरोजाबाद टूंडला से होते हुए खंदौली आए थे। खंदौली से हाथरस जैन समाज के लोगों ने उनकी अगवानी की और उनका बिहार कराकर हाथरस लाए। उन्हें आगरा रोड स्थित कमला श्री वाटिका में ठहराया गया है। कड़वे प्रवचन के नाम देश भर में मशहूर हुए तरुण सागर जी महाराज पुलक सागर जी महाराज प्रसन्न सागर जी महाराज सौरभ सागर जी महाराज आप ही के शिष्य थे। 70 वर्ष की अवस्था में करीब डेढ़ हजार से अधिक पुस्तक लिखने वाले राष्ट्रीय संत 108 श्री पुष्पदंत जी महाराज ने कमला श्री वाटिका में प्रवचन के दौरान कहा कि आज समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन आ रहा है पुत्रियां अपने पिता की इज्जत को चल रही हैं और पुत्र माता-पिता का सम्मान नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि आज अक्षय तृतीया का विशेष पर्व है। यह पर्व 108 श्री आदिनाथ भगवान के पाढ़ना दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि आदिनाथ भगवान जब ग्रस्त जीवन में थे तो उनकी दो पुत्रियां थी जिनमें से एक का नाम ब्रह्मणी और दूसरी का नाम सुंदरी था। उन्होंने अपने पिता से कहा कि आप तीनों लोक के नाथ हैं। आपके सामने सारी दुनिया सर झुका आती है आप किसके सामने सर झुकाते हैं। तब आदिनाथ भगवान ने कहा कि जब तुम दोनों की शादी होगी और तुम्हारे जो पति होंगे उनके सामने मेरा सर झुकेगा। यह सुनते ही पुत्रियां विचलित हो गई और सोचने लगी कि जिनके सामने 3 लोक सर झुकाते हो वह हमारे पति के सामने सर झुका आएंगे। यह उनको गवारा नहीं था उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह ब्रह्मचर्य धारण कर रही हैं आजीवन शादी नहीं करेंगी। यह सुनने के बाद आदिनाथ भगवान ने गृह त्याग कर दिया और बैराग धारण कर लिया। किसी को आहार देने की परंपरा का ज्ञान नहीं था। आदिनाथ भगवान के समक्ष तमाम लोग धन दौलत सोना चांदी और संसारिक चीजों को लेकर आए लेकिन इन लोगों को यह पता नहीं था कि उन्हें आहार कैसे देना है। आज ही के दिन अक्षय तृतीया पर राजा श्रेयांश को ज्ञान हुआ और उन्होंने आदिनाथ भगवान को इच्छुक रस का पाढ़ना कराया। इस तरह पुत्रियों ने अपने पिता का जीवन बदल दिया और पिता ने भी अपनी पुत्रियों का जीवन भी बदल दिया था। जबकि आज यह देखा जाता है कि लड़कियां अपने पिता के सर को झुकाने के लिए किंचित मात्र भी उसी नहीं है इसी तरह जिस औलाद को माता पिता ने जन्म दिया है वहीं औलाद वृद्धावस्था में उनके लिए अभिशाप बन जाती है। आचार्य श्री पुष्पदंत जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि यह देखा जाता है कि करता कोई है और भरता कोई है। उन्होंने इसका उदाहरण दिया और बताया कि आम के पेड़ पर आम लटका हुआ था उसे देखा आंख में था। वह इसे तोड़ नहीं सकती थी। हाथ ने इशारा किया लेकिन वह भी आम को तोड़ नहीं सकता था। हाथ ने पैर से आग्रह किया और पैर चलकर पेड़ तक पहुंचे और हाथ ने आम तोड़ा लेकिन वह खा नहीं सकता था आम को खाया मुंह ने। लेकिन मुँह भी आम को अधिक देर मुंह में नहीं रख सकता था इसलिए उसने पेट से आग्रह किया और आम पेट में चला गया। इसी बीच बाग के माली ने आम तोड़ते हुए देख लिया था वह वहां से भागा और उसने जोर से उस आदमी के पीठ पर डंडा मारा। जबकि पीठ का कोई दोष नहीं था मुंह ने खाया था, हाथ ने तोड़ा था, पैर चल कर गये थे, आंखों ने देखा था। इस मौके पर श्री जैन नवयुवक सभा अध्यक्ष उमाशंकर जैन, कोषाध्यक्ष कमलेश जैन महामंत्री संजीव जैन भूरा, श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रबंधक राकेश जैन, पंकज जैन, मोनू जैन, अमित जैन, विजय जैन, राम वार्ष्णेय, राजेश जैन नेमीचंद जैन, बाल पं.विशाल जैन, बॉबी जैन, जितेंद्र जैन, सौरभ जैन रानू, संजीव जैन लुहाड़िया,अनिल जैन लोहे वाले, राजकुमार जैन, नवनीत जैन, धीरज जैन, रतन जैन, राजकुमार जैन प्लाइवुड, राहुल जैन बैटरी, कपिल जैन, मुदित जैन, नितिन जैन, धीरज जैन रिंकू, डिंपल जैन, पुनीत जैन, मयंक जैन, आयुष जैन, मुकेश जैन अखिलेश जैन रंग वाले, मंजू जैन, मयूरी जैन ममता जैन,रिया जैन, चंचल जैन, गीता जैन सहित सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष मौजूद थे।