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सिकंदराराऊ : ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था तथा इस दिन से ही ऋतु परिवर्तन होकर बसंत ऋतु की शुरुआत होती है।इस बार बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी गुरुवार को देश भर में मनाया जा रहा है। मुहूर्त शास्त्र के अनुसार जो काम शुभ मुहूर्त में शुरू होता है उसका परिणाम भी शुभ होता है। इस दृष्टि से बच्चों के जनेऊ संस्कार व् शिक्षा आरंभ करने के लिए सबसे उत्तम तिथि माघ शुक्ल पंचमी तिथि को माना गया है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बसंत पंचमी पूजा के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पंचमी आज दोपहर 12:34 मिनट से प्रारम्भ होकर कल प्रातः 10:28 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल यह पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा वहीं इस दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 07:12 मिनट से लेकर दोपहर 12:34 मिनट तक लगभग 5 घंटे से अधिक रहेगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी के अनुसार इस बार सरस्वती पूजा के दिन चार शुभ योग बन रहे हैं, प्रात:काल से ही शिव योग है, जो दोपहर 03: 29 मिनट तक रहेगा,उसके बाद सिद्ध योग पुरे दिन रहेगा। शिव और सिद्ध योग के अलावा सांय 06:57 से सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी बन रहे हैं।
स्वामी जी ने पूजा विधि के बारे मे बताया कि इस दिन देवी शारदे की पूजा करने से व्रती को बल, बुद्धि, संगीत और विद्या की प्राप्ति होती है अतः प्रातः स्नान के उपरांत माँ सरस्वती की प्रतिमा को पंचामृत एवं शुद्ध गंगाजल से स्नान करवाकर देवी को स्वेत एवं पीले पुष्प अर्पित करें उसके बाद सरस्वती स्तुति का पाठ कर विद्यारम्भ करें। मान्यतानुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का आशीर्वाद भी मिलता है।
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