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अलीगढ़ : कार्तिक मास में सूर्यग्रहण के पश्चात दूसरा ग्रहण 15 दिन के अंतराल में चंद्रग्रहण के रूप में देखने को मिला इस बार दिवाली पर सूर्यग्रहण का साया रहा। 25 अक्तूबर को सूर्यग्रहण के कारण दिवाली के पांच पर्वों की श्रृंखला में फेर बदल हुआ यानि दिवाली से अगले दिन होने वाला गोवर्धन 26 अक्तूबर को हुआ था। महाभारत के समय भी एक माह में दो ग्रहण पड़े थे। इस वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण भारत के विभिन्न स्थानों पर देखने को मिला चंद्र ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। मंगलवार को सांय 5:30 बजे से प्रारम्भ हुए इस चन्द्रग्रहण में धार्मिक मान्यताओं से जुड़े लोगों ने पवित्र नदी के तट पर पूजा आराधना कर ग्रहों से जुड़ी सभी व्याधियों से दूर किया।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में बुलंदशहर के नरौरा स्थित नरवर घाट पर संस्थान के सदस्यों ने ग्रहण के दौरान मंत्रों का पुरश्चरण किया गया तत्पश्चात लगभग 1500 दीपों को गंगा माँ के समक्ष प्रज्जुलित कर महाआरती कर दीपदान किया गया।
मंगलवार को लगे चंद्र ग्रहण के सूतक 9 घण्टे पूर्व यानि प्रातः 8:30 से लग चुके थे जिसके पश्चात सांय 5:30 से ग्रहण प्रारंभ हुआ नरवर घाट नरौरा में सांयकाल से ही विद्वानों ने गंगा घाट के किनारे पूजा पाठ जप तप प्रारंभ कर दिया जोकि ग्रहण की समाप्ति तक जारी रहा अर्धनग्न अवस्था में गंगाजल में खड़े होकर सभी ब्राह्मणों ने आराधना की। वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार एक पखवाड़े यानि 15 दिनों के अंतराल में दो बड़े ग्रहण का होना अशुभता का संकेत देता है। ठीक ऐसा ही ग्रहण महाभारत काल में भी पड़ा था।ग्रहण समाप्ति बाद वैदिक ज्योतिष संस्थान के सभी सदस्यों ने 1500 दीपकों को प्रज्जुलित कर दीपदान किया।
दीपदान से जुड़ी जानकारी देते हुए स्वामी जी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा तिथि के दिन प्रात: स्नान करने की परंपरा है। उदया तिथि के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का स्नान मंगलवार को ही होगा इस दिन किया गया दीपदान जातक को असमय या अकाल मृत्यु से बचाता है क्योंकि कार्तिक मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। इस दिन दान करने से दस यज्ञों के समान फल होता है। अतः अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान आदि करना चाहिए। गंगा आरती कर स्तुति का पाठ किया। इस अवसर पर गौरव शास्त्री, शिवम शास्त्री, जितेन्द्र गोविल, तेजवीर सिंह, शिव प्रकाश अग्रवाल,मनोज उपाध्याय, रिशु उपाध्याय, रीना उपाध्याय, मनोज मिश्रा आदि भक्त मौजूद रहें।