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अमेठी : वीवीआईपी जिले अमेठी के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की किल्लत है। खदान पर सरकारी पाबंदी आयद है। कमोबेश बिजली मिल रही तो महंगी। इस मिस मैनेजमेंट के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी यहां के कुम्हारों को पत्थर के चाक की जगह इलेक्ट्रानिक चाक, मिट्टी के कच्चे बर्तनों को पकाने के लिए आग की भट्टी की जगह इलेक्ट्रानिक भट्टी का उपहार देने जा रही हैं। वैसे बीजेपी इस कदम से गदगद है लेकिन कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है।
जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी के छतोह में कई योजनाओं की शुरुआत करेगी। इसके पूर्व वो 19 नवम्बर को 80 करोड़ की योजनाओ की सौगात देकर जा चुकी हैं। इस बार वो मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को इलेक्ट्रानिक चाक और कच्चे बर्तनों को पकाने के लिए एक सार्वजनिक भट्टी स्थापित कराएगी। उनकी इस योजना का लाभ अमेठी की पांचो विधानसभा के कुम्हारों को मिलेगा। इसके अलावा लगभग पांच सौ किसानों को मधुमक्खी पालन से जोड़ने का काम करेगी। वहीं अमेठी लोकसभा के सलोन विधानसभा क्षेत्र में आलू की पैदावार अच्छी है, जिसे देखकर यहां पापड़ बनाने की यूनिट लगाने की भी तैयारी है।
इस संदर्भ में कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने स्मृति ईरानी के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी यहां जब आती हैं बातें बड़ी-बड़ी करती हैं, योजनाएं बहुत लागू करती हैं, तमाम प्रोजेक्ट लेके आती हैं केवल कागजो पर लेकर आती हैं धरातल पर कुछ नहीं होता।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि इससे पहले उन्होंने यहां पर वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोजेक्ट की बात की क्या कहीं आपको दिखा? बिस्कुट की उन्होंने बात की के अमेठी में बिस्कुट बनेगे कहीं आपको दिखा? जूट की बात की थी यहां से बाध के निर्यात होगें कहीं कुछ दिखा?
उन्होंने कहा हम इतना ही कहना चाहते हैं योजनाओं को लाकर अमेठी में घूमना अलग बात है, कागजो अखबारो में किसी बात को कह देना धरातल पर लाना बहुत बड़ा अंतर है। आज वो कुम्हारों की बात कर रही हैं जबकि किसानों का जिंदा रहना मुश्किल है।
वैसे केंद्रीय मंत्री ने अभी कुम्हारों को ये सौगात दी नहीं है लेकिन ख़बर भर सुनकर कुम्हारों की हालत पतली है। बुज़ुर्ग कुम्हार राम किशोर की ही बात सुन लीजिए। जैसे ही पता चला कि केंद्रीय मंत्री इलेक्ट्रानिक चाक देने वाली हैं, फौरन राम किशोर ने सवाल रख दिया फायदा क्या होगा? बिजली महंगी है, मिट्टी मिल नहीं रही क्या बताए। मिट्टी मिलती तो गुंजाइश भी होती, बिजली ले लेते, लेकिन बिजली की हालत भी ख़राब है। ऐसे में हम उतनी कमाई ही नहीं कर पाएंगे।
रिपोर्ट : तुफैल इदरीसी