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सिकन्दराराऊ : संतान की दीर्घायु एवं उसके सुखमय जीवन की कामना को लेकर घर अहोई माता की पूजा अर्चना की गई।
मान्यता है कि अहोई अष्टमी पर संतान की लम्बी उम्र की कामना को लेकर अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प लेकर माताएं निर्जला व्रत करती हैं तथा मां पार्वती की आराधना करती है। अहोई माता की पूजा के लिए महिलाएं गेरू से दीवार पर उनके चित्र के साथ ही साही और उसके सात पुत्रों की तस्वीर बनाती है।
तत्पश्चात माता के सामने चावल की कटोरी, मौली, सिंघाड़ा आदि रखकर अष्टोई अष्टमी के व्रत की कथा सुनती है। सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखा जाता है। इसमें उपयोग किया जाने वाला करवा भी वही होता है जिसे करवा चौथ में इस्तेमाल किया जाता है। शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य देंती हैं।