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अलीगढ़ :  कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पति पत्नी के प्रेम के प्रतीक का पर्व करवा चौथ मनाया जाता है,इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि 13 अक्तूबर को देश भर में मनाई जा रही है।यह त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक माना गया है जिसमें महिलाएं सुबह से व्रत का संकल्प लेते हुए शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद व्रत तोड़ती हैं।करवा चौथ के विषय में यह जानकारी वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दी।
करवा चौथ तिथि को लेकर इस बार संशय की स्थिति बनी हुई है जिसको दूर करते हुए स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि 13 अक्टूबर प्रातः 01:59 मिनट से चतुर्थी तिथि प्रारंभ होकर 14 अक्तूबर रात्रि 03:08 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। लेकिन हिंदू धर्म में कोई भी व्रत-त्योहार उदया तिथि के आधार पर ही निर्धारित किया जाता है अतः करवा चौथ का व्रत 13 अक्तूबर 2022 को ही मनाया जाएगा। करवा चौथ पूजा का अमृतकाल सांय 04:08 मिनट से लेकर 05:50 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पूजा दिन के अभिजीत मुहूर्त काल में भी कर सकेंगी।मुहूर्त शास्त्र के अनुसार कोई भी शुभ कार्य या पूजा उस दिन के अभिजीत मुहू्र्त में किया जा सकता है।
अमृतकाल सांय 04:08 मिनट से सांय 05:50 मिनट तक,अभिजीत मुहूर्त 13 को प्रातः11: 21 मिनट से दोपहर 12: 07 मिनट तक रहेगा।
करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा के बारे में स्वामी जी ने बताया कि पुराणों के अनुसार जब देवताओं और दानवों में युद्ध छिड़ गया और दानव देवताओं पर भारी पड़ने लगे यह देख कर उनकी पत्नियां विचलित हो उठी उन्होंने ब्रह्मा जी के सम्मुख सारी दास्तां सुनाई। ब्रह्मा जी ने उनकी यह दास्तां सुनकर उनको इस संकट से उबारने के लिए करवा चौथ का व्रत पूरी श्रद्धा-भक्ति से करने को कहा।ब्रह्मा देव के कहने के अनुसार उन्होंने कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन इस व्रत को रखा और अपने पति की लंबी आयु की कामना की। देवों की पत्नियों के द्वारा रखे गए इस व्रत को भगवान ने स्वीकार किया और इस युद्ध में देवताओं की जीत हुई।

vinay

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