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सिकंदराराऊ : मां भगवती की आराधना के शारदीय नवरात्रि का पर्व जारी है प्रतिदिन किसी न किसी रूप में मां के स्वरूप की पूजा की जा रही है। इस बार नवरात्रि के पहले दिन शुभ संयोग बना और दुर्गा अष्टमी, महानवमी और विसर्जन के दिन भी शुभ संयोग बन रहे है।
नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां गौरी की पूजा उपासना की जाती है। महागौरी का स्वरुप अत्यंत उज्जवल और श्वेत वस्त्र धारण किए हुए है व चार भुजाधारी मां का वाहन बैल है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान पर चल रहे नवरात्रि पर्व अनुष्ठान के तहत सातवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप की आराधना की गई। वहीं अष्टमी तिथि के विषय में जानकारी साझा करते हुए वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख एवं महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि देवी दुर्गा की उपासना की अष्टमी तिथि पर महागौरी की पूजा आज की जा रही है। शोभन योग 02 अक्तूबर को शाम 5:14 मिनट से प्रारंभ हो चुका है जो कि आज दोपहर 02:22 मिनट तक रहेगा। शोभन योग में मां दुर्गा की उपासना करने से व्यक्ति का आर्कषण बढ़ता है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
स्वामी जी ने बताया कि कल यानि 4 अक्टूबर को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी महानवमी पर पूरे दिन रवि योग बन रहा है, ज्योतिष में रवियोग को बहुत ही शुभ माना गया है। इस योग में किए गए सभी तरह के कार्य अवश्य ही सफल होते हैं, नवरात्रि पर दुर्गा विसर्जन करके नवरात्रि का समापन हो जाता है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि नवरात्रि में मनुष्य प्रकृति रूपी दुर्गा स्वरूप कन्याओं का पूजन करके साक्षात भगवती की कृपा पा सकते हैं। कन्या पूजन के लिए अष्टमी और नवमी तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है। कन्या पूजन के दिन कन्या और बटुक की पूजा करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और धन-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।शास्त्रों में आयु के अनुसार कन्या पूजन के महत्व को भी विस्तार से वर्णित किया गया है। 2 वर्ष की छोटी कन्या का पूजन करने से दुःख, दरिद्रता और कई प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस आयु की कन्या को कुमारी कहा जाता है। 4 वर्ष की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति को बहुत लाभ होता है। ऐसा करने से उसे बुद्धि, विद्या और राज सुख की प्राप्ति होती है। 4 वर्ष की कन्या को देवी कल्याणी का स्वरूप माना जाता है। 5 वर्ष की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति को गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस उम्र की कन्या को रोहिणी के रूप में जाना जाता है 6 वर्ष की कन्याओं का पूजन करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है 6 वर्ष की कन्या कालिका के रूप में जानी जाती है। 7 वर्ष की कन्या की उपासना करने से और उन्हें भोग लगाने से धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। इन कन्याओं को चंडिका के रूप में पूजा जाता है। 8 वर्ष की कन्याओं का पूजन करने से विवाद से मुक्ति प्राप्त होती है शास्त्रों के अनुसार 8 साल की कन्या को देवी शांभवी का स्वरूप माना जाता है।
मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि महापर्व में अष्टमी अथवा नवमी तिथि को नौ वर्ष की कन्या का पूजन करने से कष्ट, दोष से मुक्ति प्राप्त होती है। साथ ही ऐसा करने से परलोक की प्राप्ति भी होती है। नौ वर्ष की कन्या को स्वयं देवी दुर्गा का रूप माना जाता है।कन्या पूजन के दिन 10 वर्षीय कन्या की पूजा करने से सभी बिगड़े काम सफल हो जाते हैं और मनोकामना पूर्ण होती है। इन्हें माता सुभद्रा का स्वरूप माना जाता है।
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