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सिकंदराराऊ : विमल साहित्य संवर्धक संस्था (पंजी) के तत्वावधान में ग्राम बरामई में “ग्राम्य काव्योत्सव” कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता कवि धर्मेन्द्र विद्रोही डायट प्रचार्य अलीगढ़ ने की एवं संचालन शिवम कुमार आज़ाद ने तथा संयोजन अवशेष कुमार विमल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सोमेश यादव जिला महामंत्री युवा मोर्चा एवं विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत सदस्य रामेश्वर पहलवान की उपस्तिथि रही। कार्यक्रम के आयोजक ग्राम प्रधान संतोष यादव थे ।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन करके किया गया। कासगंज से पधारे वरिष्ठ गीतकार डॉ. अजय अटल ने सरस्वती वंदना की।

लखनऊ की कवियत्री हेमा पांडेय ने पढ़ा-
आइना तुम बनो तो संवर जायेंगे ।
जिंदगी आपके नाम कर जायेंगे ।
रायबरेली के कवि डॉ गोविंद गज़ब ने सुनाया-
रखने को मान प्रेम का सब जानते हुए ।
भगवान भी सोने का हिरन ढूढ़ रहे हैं।
वरिष्ठ कवि ग़ाफ़िल स्वामी ने देशभक्ति गीत पढ़ा-
चलें हम सत्य के पथ पर बहायें प्रेम की गंगा ।
तिरंगा हाथ में लेकर वतन के गीत गायें हम ।
सबरस मुरसानी ने अपने अंदाज में सुनाया-
ऊँचा है हिन्द गगन से जोशीला पवन अगन से ।
न उलझो इस वतन से नहीं मर जाओगे कसम से ।
व्यंग्यकार देवेन्द्र दीक्षित शूल ने व्यंग्य किया-
सबसे बड़ी दफा, -‘रफा-दफा ।
चमचागीरी की दुकान – नफा ही नफा ।
हास्यकवि मणि मधुकर मूसल ने सुनाया-
सौभाग्य शाली मूसल का कितना है ये जनम ।
मूसल लगा है देखो दाऊ जी के हाथ में ।
कवि विश्राम सिंह ने सुनाया-
कविता कविता करते करते एक कवि का नाम हो गया ।
कविता तुलसी सी पावन हुई कवि भी सालिगराम हो गया।
इनके अतिरिक्त कवि मनोज नागर, विवेकशील राघव, उन्नति भारद्वाज, पंकज पंडा, अवनीश यादव, राजकिशोर राज आदि ने भी काव्यपाठ किया।
इस मौके पर हरपाल सिंह यादव, महेश संघर्षी, डॉ शरीफ अली, त्रिभुवन शर्मा, अरविंद भारद्वाज, देवा राजपूत, अमीर सिंह यादव, संजीव यादव, विशाल चौधरी, मोहित कुमार, सुभाष कुमार, अखिलेश यादव, राजन सिंह, अजय कुमार आदि उपस्थित रहे ।

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