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सिकंदराराऊ : ग्राम रति का नगला में कृषक एवं महिलाओं को एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया । कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ ए के सिंह ने ग्रीष्मकालीन जुताई, मिट्टी पलटने वाले हल से करने पर खेत की मिट्टी ऊपर-नीचे हो जाती है । इस जुताई से जो ढेले पड़ते हैं वह धीरे-धीरे हवा व बरसात के पानी से टूटते रहते हैं । साथ ही जुताई से मिट्टी की सतह पर पड़ी फसल अवशेष की पत्तियां, पौंधों की जड़ें एवं खेत में उगे हुए खरपतवार आदि नीचे दब जाते हैं, जो सडने के बाद खेत की मिट्टी में जीवाश्म व कार्बनिक खादों की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं। जिससे भूमि की उर्वरता स्तर एवं मृदा की भौतिक दशा या भूमि की संरचना में सुधार होता है। डॉ कमल कांत ने ग्रीष्मकालीन जुताई करने से खेत के खुलने से प्रकृति की कुछ प्राकृतिक क्रियाएं भी सुचारू रूप से खेत की मिट्टी पर प्रभाव डालती है। वायु और सूर्य की किरणों का प्रकाश मिट्टी के खनिज पदार्थो को पौधों के भोजन बनाने में अधिक सहायता करते हैं। इसके अतिरिक्त खेत की मिट्टी के कणों की संरचना (बनावट) भी दानेदार हो जाती है। जिससे भूमि में वायु संचार एवं जल धारण क्षमता बढ जाती है। डॉ शिवराज सिंह ने इस गहरी जुताई से गर्मी में तेज धूप से खेत के नीचे की सतह पर पनप रहे कीड़े-मकोड़े बीमारियों के जीवाणु खरपतवार के बीज आदि मिट्टी के ऊपर आने से खत्म हो जाते हैं l केंद्र की महिला वैज्ञानिक (गृह विज्ञान) डॉ पुष्पा देवी ने एक दिवसीय महिला प्रशिक्षण कार्यक्रम अंतर्गत विषय “गर्मी से बचाव हेतु पौष्टिक आहार” पर रति का नगला ग्राम में महिलाओं को जानकारी दी। साथ ही इस मौसम में हो रही पानी की कमी को पूरा करने हेतु तरबूज, खरबूझ और बेल के सर्वत को पीने की सलाह दी l बच्चों महिलाओं के शरीर में पानी की कमी न होने पाए, इसके लिए प्रतिदिन नीबू पानी, नमक और चीनी का घोल बनाकर इसके सेवन के लिए सलाह दी। साथ ही इलेक्ट्रॉल के सेवन के लिए भी जागरूक किया । हल्का और सुपाच्य भोजन गर्मी के मौसम करने की भी जानकारी दी ।

vinay