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हाथरस : एक के बाद एक सरस्वती की संतान और साहित्यिक हस्तियों के जाने से ऐसा प्रतीत होता है मानो संगीत का एक युग समाप्त हो गया हो। कान्हा की मुर्ली कहे जाने वाली संगीत सुरभी लता दी व उसके बाद बप्पी दा का जाना और साहित्य के संत मुन्नालाल रावत जो ब्रजद्वार की प्रमुख हस्तियों में सुमार थे का जाना संगीत की गलियों को सूना कर गया है।
यह उद्गार ब्रजद्वार सनातन परिषद की हुई बैठक में पत्रकार अशोक रावत ने व्यक्त किये। अन्य वक्ताओं ने बताया कि बो दिन आज भी याद है जब बप्पी दा साहित्य समाजी पंडित मुन्नालाल रावत के कनिष्ठ पुत्र जितेंद्र रावत के विवाहोत्सव में सम्मिलित होने आये थे। उन्होंने बताया कि डिस्को किंग और हिन्दुस्तानी पॉप म्यूजिक के जनक बप्पी लाहड़ी बहुत ही सरल स्वभाव और संबंधों को निभाने वाले व्यक्तित्व थे। एक कार्यक्रम में जब रावत जी बप्पी दा के साथ लता दी से मिले थे तो ब्रजद्वार से संबंधित एक स्क्रिप्ट को लेकर बहुत ही रुची दिखाई थी। वक्त निकलता गया और इतिहास बनता गया। यह भी किसी इतिहास से कम नहीं कि पहले साहित्यक सौर्य व फिल्म ”उद्धार” के निर्माता मुन्नालाल रावत के बाद संगीत की देवी लता ‘दी का’ चला जाना और बप्पी दा का इस दुनिया से अलविदा कहना एक इतिहास बन गया है। वक्ताओं ने कहा कि केवल 15 दिन में तीन हस्तियों का जाना देश और समाज दोनों के लिए एक अपूर्तिनिय क्षति है। इस मौके पर अशोक अग्रवाल ( जी.के. ), राकेश बंसल ( हींग वाले ), अनिल अग्रवाल ( हींग वाले ), पवन अग्रवाल ( मुरब्बा वाले ), गोविन्द प्रसाद अग्रवाल ( दाल मिल ), रतन बिहारी अग्रवाल ( रंग वाले ), अनिल वार्ष्णेय ( तेल वाले ), धुव बाबू ( हींग वाले ), कपिल अग्रवाल ( चूना वाला बल्क ), योगेन्द्र मोहता एड, श्याम सुन्दर खेतान, दिनेश बंसल एड, उमेश गुप्ता एड, रमेशचन्द्र आर्य ( पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ), अजय मांगलिक, सुनील अग्रवाल ( माया पैलेस ), हरीमोहन गर्ग ( बी.डी.आई. ), मुकेश अग्रवाल ( हुण्डी वाले ), दीपेश अग्रवाल ( सर्राफ ), पुनीत पौद्दार, पुनीत छत्तैया वाले |

INPUT-BRAJMOHAN THENUA 

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