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बाँदा में मौरंग माफियाओं के हौसले इस तरह बुलंद हैं कि प्रशासन और खनिज की सांठगांठ से जिम्मेदारों को मिला करके मोरंग माफिया अवैध-खनन के साथ अवैध परिवहन भी जबरदस्त तरीके से कर रहे हैं । जहाँ प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ, बेरोजगारों को मछली पालन के लिए लाखो रुपयों का लोन देकर इस योजना को सफल बनाने में लगे हैं, वही खनन माफिया दिन व रात के अँधेरे में नदियों का सीना छलनी कर बड़ी-२ मशीनों से बालू का अवैध खनन कर रहे हैं । कई जगह दिन के उजाले में शांत दिखने वाली यहाँ की रेत खदानें, शाम ढलते ही खनिज सम्पदा लूटने का अड्डा बन जाती हैं और यह सब हो रहा है प्रशासनिक सरपरस्ती में । बाँदा जिले में अगर दबंगई की बात करे तो सबसे बुरा हाल है जौहरपुर खण्ड संख्या -1 और मरौली खण्ड संख्या – 4 का, यहाँ तो रात हो या दिन खुलेआम मशीनो से नदी के बीच पानी से अवैध-खनन किया जा रहा है जिससे रोजाना लाखो मछलिया और जीव-जन्तो की मौत हो रही है । इसी को लेकर बीते दिन जनपद की इस खदान में मछवारों और खदान के गुर्गो के बीच विवाद हुआ था पर इसके बाद भी प्रशासन ने अवैध-खनन रोकने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही इन खदानों पर कोई कार्यवाही करना उचित समझा । अगर बाँदा में खनन का यही हाल रहा तो बहुत जल्द जिले से मछलियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा । आपने सोले फिल्म तो देखी ही होगी पर शायद भूल गए होंगे, चलिये हम आपको दिखाते है बाँदा मे जौहरपुर – 1 और मरौली – 4 के खनन माफिया “प्रमोद तिवारी” और “प्रजापति” किस तरह से शोले फिल्म के तरीक़े से अपनी दोस्ती निभा रहे है और गाना गा रहे है की ये दोस्ती हम नही तोडेगे लाखों की संख्या में मछलिया मरती है तो मरे, पर हम नदी के बीच से अवैध-खनन नहीं छोड़ेंगे । वही सूत्रों की माने तो जौहरपुर खदान सचालक प्रमोद तिवारी, जो की योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा से निकलते ही फोटो खिचाते है, तो इनको फिर डर किसका होगा, इनकी सोच है की मछलिया मरती है तो मरे पर हमारी जेब कभी खाली ना हो ।
मामला बाँदा जनपद के जौहरपुर खण्ड संख्या -1 और मरौली खण्ड संख्या – 4 का है जहाँ पर इन दिनों मौरंग माफियाओं के हौसले इस कदर हावी है कि नदियों पर अवैध-खनन तो कर ही रहे हैं, साथ ही साथ खदानों से ओवरलोड ट्रकों को परिवहन करा रहे हैं । इसे नियम विरुद्ध माना जाता है लेकिन प्रशासन और मौरंग माफ़ियाओ की सांठगांठ से ये पूरा अवैध-खनन का खेल दिन-रात फल फूल रहा है । अगर हम खदानों की नियमावली की बात करे तो मशीनों से खनन नहीं किया जा सकता, नदी की जलधारा को रोका नहीं जा सकता ! इन खदानो में अवैध खनन से रोजाना हजारो मछलियां व जीव-जन्तुओ की मौत हो रही है । इन खदानों में नदी के बीच से मोरम निकालकर अवैध-खनन किया जा रहा है जिससे लाखो की संख्या में मछलिया और जीव जन्तुओ की मौत हो रही हैं । मछवारों ने कई बार इसका विरोध किया पर खनन माफियाओ की दबंगई और प्रशासन की साठगांठ के चलते मछवारे हमेशा हाथ में हाथ रखकर बैठ जाते थे । लेकिन बीते दिन मछवारों का गुस्सा फूटा और जौहरपुर – 1 खदान में मछवारों और खदान के गुर्गो में विवाद हो गया, हालांकि पुलिस ने जाँच उपरांत दोनों पछ पर मुक़दमा लिख जाँच का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया । इस मामले पर जौहरपुर खदान के बीपी मिश्रा का कहाँ है कुछ मछवारों ने आकर विवाद खड़ा कर दिया था । पर वही दूसरी तरफ इस खदान के पोकलैंड मशीन के चालक की बात सुनिए जिसका कहना है की कुछ मछवारे आये और कहने लगे की मशीन से पानी के बीच से बालू मत निकालो । अब इस चालक की बात से तो साफ जाहिर होता है की नदी के बीच से अवैध खनन किया जा रहा था जिसे मछवारों द्धारा रोकने को कहा गया । प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बेरोजगारों को रोजगारी देने के लिए मछली पालन के लाखो के लोन देकर इस योजना को सफल बनाने का प्रयास कर रहे है तो वही खदान माफिया इस प्रजाति को समाप्त करने में लगे हुए हैं । अगर यही हाल रहा तो एक दिन बहुत से व्यापार समाप्त हो जायेंगे और लाखो लोग बेरोजगारी की कगार पर पहुँच जायेंगे । आखिर कौन है इन हत्याओं का जिम्मेदार, इन मौतों का जिम्मा किसके सर जाता है, क्या बाँदा प्रशासन को इसका जिम्मेदार माना जाये और फिर सत्ताधिरियो को, शायद इसक जवाब किसी के पास भी नहीं होगा ।
खनन माफियाओं की नजर हमेशा बुंदेलखंड की इस खनिज सम्पदा को लूटने में लगी रहती है और इस सब में खनन माफियाओं का साथ देता है जिला प्रशासन । यहाँ आपको यह बताना जरूरी होगा कि प्रत्येक खदान आवंटन से पहले डीएम और खदान संचालक के बीच नियमों को लेकर एक अनुबंध होता है, जिसका पालन खदान संचालक को करना होता है, लेकिन आमतौर पर ऐसे अनुबंधों को डस्टबिन में डालकर मनमाने तरीके से अवैध खनन किया जाता है । अनुबंध में पोकलैंड मशीनों से खनन की जगह मजदूरों से खनन करवाने की बात है लेकिन तसवीरें गवाह हैं हकीकत की । सूर्यास्त के बाद किसी भी तरह का खनन नहीं हो सकता लेकिन लूट का असली खेल काली रात के अँधेरे में ही शुरू होता है। नदी की धारा से बालू नहीं निकाली जा सकती लेकिन नदी का सीना चीरकर ऐसा लगातार किया जा रहा है । नियम कानून की फेहरिस्त में कुल मिलाकर ऐसी 32 शर्तें हैं जिनका पालन की बजाय सिर्फ उल्लंघन होता है । बांदा में अवैध खनन का यह खेल बदस्तूर जारी है और योगी सरकार को बरगलाने वाले अधिकारियों की जमकर मौज है । रात की इन ताजा तस्वीरों के सामने आते ही प्रशासन को मानो सांप सूंघ जाता है, डगमगाती कश्ती में डीएम भी कार्रवाई की बात कहकर हमेशा अपना पल्ला झाड़ते नजर आते हैं । इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि अवैध-खनन के मुद्दे पर भले ही योगी सरकार की यहाँ छीछालेदर हो रही हो, लेकिन बाँदा जिले के अफसर अपनी जेबें भरने में लगे हैं । ख़बरों को हर बार जांच की बात कहकर जिला प्रशासन टाल देता है । ज़्यादा पीछे पड़े तो रेत खदानों का बनावटी मौका मुआयना कर शिकायतकर्ता को ही झुठला दिया जाता है । अगर लखनऊ मुख्यालय की टीम पूरे मामले की जाँच करती है तो इस अवैध खनन और पूरे मामले पर एक बड़ी कार्यवाही होगी, साथ ही साथ जलीय जीवों की रक्षा भी हो जाएगी ।
अब हम बात करते है बाँदा डीएम और जिला प्रशासन की, हमारे जिलाधिकारी महोदय को या तो ये अवैध-खनन और जीव-जन्तुओ की मौते नजर नहीं आ रहा है या फिर इस खनन माफ़िआओ के इस खेल में डीएम साहब की भी मिलीभगत है, ये तो डीएम साहब खुद ही जानते होंगे । जिलाधिकारी का मतलब है जिले का अधिकारी और क्या ये संभव है की जिलाधिकारी की मंशा के बिना खनन माफिया सभी नियम कानूनों को ताक में रखकर खनन कर सकते है, शायद नहीं । इससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है की इस अवैध-खनन में सभी की सहभागिता है । जिलाधिकारी की मंशा के बिना खनन-माफियाओ का ये तांडव शायद मुमकिन नहीं है ! जब इस बाबत बाँदा के जिम्मेदार अधिकारियों से जानकारी ली जाती है तो वही रटा हुआ बहाना हर बार सुनने को मिलता है की जांच की जा रही है व टीमें लगाई गयी है । अरे जिलाधिकारी महोदय अगर आप चाह ले तो क्या जिले का एक पत्ता भी हिल सकता है क्या, इतना बड़ा खेल चल रहा है, क्या आपको जानकारी नहीं होगी, या फिर या मान लिया जाए की जिलाधिकारी भी कहीं ना कही किसी दबाव में बंधे है जिससे कार्यवाही करने से पीछे है रहे है । देखिये डीएम साहब जो हमें इस चैनल के माध्यम से दिखाना था व सुनाना था वो हमने दिखा दिया, अब देखना ये होगा की आप इस पर क्या कार्यवाही करते है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा ।