Visitors have accessed this post 431 times.

हाथरस : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरुद्ध, खराब ऋणों की वसूली के लिए सख्त कानून बनाने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में ग्यारह वें द्विपक्षीय समझौते के अनुसार वेतन देने, पुरानी पेंशन योजना लागू करने तथा लंबे समय से अधीनस्थ वर्ग में कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करने आदि मांगों को लेकर आर्यावर्त ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय पर समस्त बैंकों के अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने हड़ताल पर रहकर धरना प्रदर्शन किया । जिसमें भारी संख्या में अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।
हड़ताली प्रदर्शनकारी बैंक कर्मियों को संबोधित करते हुए यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के जिला संयोजक बीएस जैन ने कहा कि निजी बैंकों का मुख्य उद्देश्य मुनाफा कमाना रहता है। जिस कारण वे ना तो सस्ता ऋण देना चाहते हैं और ना ही ग्रामीण क्षेत्रों में अपना प्रचार करते हैं। इसी कारण सन 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। उसके बाद सन 1980 में 6 बैंकों का और राष्ट्रीयकरण किया गया। राष्ट्रीयकरण के बाद बैंकों की जमा राशि तथा ऋण राशि में भारी बढ़ोतरी हुई। देश के राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मचारियों ने मेहनत की, जिसके कारण देश के अंदर हरित क्रांति व श्वेत क्रांति हुई। देश को अन्न और दुग्ध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया। मौजूदा सरकार जहां बैंकों का विलय कर रही है वहीं अब बैंकों का निजीकरण करने पर आमादा है। बैंकों का निजीकरण जनविरोधी, अर्थव्यवस्था-विरोधी और कामगार विरोधी है और इसीलिए दृढ़ता से संघर्ष किया जाना चाहिए। उन्होंने आज की सफल हड़ताल व धरना प्रदर्शन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। यूपी बैंक एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष साथी वीके शर्मा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की छवि को जानबूझकर खराब किया जा रहा है ।उद्योगपति सत्ताधारी नेताओं और नौकरशाहों से सांठगांठ करके अपना हित साधते हैं। बैंकों के अधिकारियों पर सत्ताधारी पार्टी के नेता दबाव बनाकर ऋण कराते हैं जिनकी वसूली नहीं हो पाती है। सरकार का बैंकों को निजीकरण करना देश विरोधी है।
आर्यावर्त ग्रामीण बैंक अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष साथी पदम सिंह ने कहा कि ग्रामीण बैंक के कर्मचारियों को अभी तक 11 वें द्विपक्षीय समझौते के अनुसार वेतन प्राप्त नहीं हुआ है। ग्रामीण बैंक का कर्मचारी राष्ट्रीयकृत बैंकों में उपलब्ध पुरानी पेंशन को चाहता है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में लंबे समय से अधीनस्थ कर्मचारी नियमित कार्य कर रहे हैं फिर भी उनको स्थाई नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बैंक को निजीकरण में लाने की सरकार की नीति की कड़े शब्दों में निंदा की। एनओबीओ के प्रतिनिधि साथी नितिन साहू ने कहा कि बैंकों को ही नहीं बल्कि सार्बजनिक क्षेत्र को भीे जानबूझकर महत्वहीन बनाया जा रहा है। जबकि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने में यह क्षेत्र कितना आगे रहता है यह कोई छुपा तथ्य नहीं है। सरकार का निजीकरण के रास्ते पर जाना देश हित में नहीं है। हड़ताली व प्रदर्शनकारी बैंक कर्मियों को साथी पीआर शर्मा, संजय गौतम, पीयूष श्रीवास्तव, सीबी सिंह आदि ने भी संबोधित किया। सभा का संचालन आर्यावर्त बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महामंत्री जीके शर्मा व यूपी बैंक एंप्लाइज यूनियन के जिला मंत्री राकेश कुमार वर्मा ने सफलतापूर्वक किया।कार्यक्रम के अंत में आर्यावर्त बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। आंदोलन को सफल बनाने में डीसी गुप्ता, यतेश गर्ग, उमाशंकर जैन, सोनू कुमार, श्रीकांत, रवि राकेश, संजय जैन, अशोक शर्मा, भजनलाल, ओम प्रकाश, हुकुम सिंह, सुरेश चंद्र, राकेश कुमार, अरुण वर्मा, पुष्पा कर जैन, राजेश जैन, अरविंद जैन, मनोज सिंह आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

input : brajmohan thinua

अपने क्षेत्र की खबरों के लिए डाउनलोड करें TV30 INDIA एप

https://play.google.com/store/apps/details?id=com.tv30ind1.webviewapp