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कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भारत की शिक्षा व्यवस्था कब जाने का आरोप लगाया है राहुल ने आर एस एस के स्कूलों की तुलना पाकिस्तान में जेहादी पाठ पढ़ाने वाले मदरसों से की। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर कब्जा करने की कोशिश हो रही है और आर एस एस द्वारा चलाए जा रहे हजारों स्कूलों को मिल रही धनराशि पर भी कांग्रेश नेता ने सवाल खड़े किए।
वहीं विश्व हिंदू परिषद के आलोक कुमार ने राहुल के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने पाकिस्तान में आतंकवादी पैदा करने वाले मदरसों से सरस्वती शिशु मंदिरों की तुलना की है। बयान पूरी तरह से गलत है। सरस्वती शिशु मंदिर पूरे देश में लाखों भारतीय बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं। वे एक ऐसी शिक्षा प्रदान करते हैं जो उन्हें देश के प्रति सम्मान प्रदान करती है, एक अच्छी मानव मूल्य प्रणाली व उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाती है,
आरएसएस सीधे तौर पर कोई स्कूल नहीं चलाता है। उसके स्वयंसेवकों की संस्थाओं विद्या भारती और शिक्षा समिति के दायरे में कम से कम 20 हजार स्कूल चलते हैं। ये स्कूल मिलकर देश के सबसे बड़े निजी स्कूलों की एक चेन बनाते हैं। बता दें कि पहले सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना 1952 में हुई थी। विद्या भारती की वेबसाइट के अनुसार उसका मकसद ऐसा ‘नेशनल एजुकेशन सिस्टम तैयार करना है, जिससे युवा पुरुषों और महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित करना है। विद्या भारती भारतीय शिक्षा संस्थान ने बताया कि मुस्लिम व ईसाई वर्ग के लगभग 80,000 छात्र शिक्षा ले रहे हैं। जिन्होंने ना केवल शिक्षा बल्कि खेलों के क्षेत्र में भी अपने परिवार व विद्यालय का नाम रोशन किया है। संस्था ने आगे बताया कि छात्रों में जाति,मत, पंथ, संप्रदाय के भाव से ऊपर उठकर देशभक्ति और समाज के प्रति समर्पण का भाव पैदा करना हमारा लक्ष्य है।
उनके इस बेतुके बयान के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें ट्रोल करते हुए कहा कि “राहुल गांधी पूछ रहे हैं कि आरएसएस के स्कूलों को फंड कैसे मिलता है? निश्चित तौर पर सरकारी फंड तो नहीं मिलता जैसे आपने राजीव गांधी फाउंडेशन और इंदिरा गांधी फाउंडेशन को सरकारी फंड दिलाए। वहीं एक अन्य यूजर्स ने लिखा कि राहुल जी आपने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा संचालित सरस्वती शिशु विद्यामन्दिर स्कूलों पर जिस तरह का बयान दिया है क्या आपने कभी उसकी सच्चाई जाननें की कोशिश की है, क्या आप कभी इन स्कूलों में गये हैं ? या फिर किसी चाटुकार की बातों के आधार पर आपने ये बयानबाजी कर दी
input : sapna sexsena
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