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सासनी : नगर में बसंत पंचमी के पावन पर्व को बसंत विहार कालोनी स्थित वीरेन्द्र सिंह सोलंकी के आवास पर कवियों ने माँ सरस्वती के प्रकाट्योत्सव के रूप में मनाया। आचार्य डा0ओम प्रपन्न शास्त्री की अध्यक्षता में आयोजित कवि गोष्ठीका आचार्यश्री के निर्देशन में विधि विधान के साथ। माँ सरस्वती की पूजा अर्चना के बाद कवि अशोक अग्रवाल ने सरस्वती वंदना का सस्वर पाठ किया।
शुक्रवार को आयेाजित कवि गोष्ठी में आचार्य ने सुनाया कि –गीत गात ग्वालिन में गोपिन के गातन में गैल गलियारे गदरायो जि बसंत है। कवि वीरेन्द्र जैन नारद ने सुनाया कि अपनी तो चाहत है इतनी हर बात बसंती हो जाए। हर दिन तो बसंती होता है, कोई रात बसंती हो जाए।। इसके बाद रसपरिवर्तन कराते हुए हास्य कवि वीरपाल सिंह वीर ने सुनाया कि हर कोई अपने मजा में मस्त कोई माने न किसी की। तत्पश्चात शैलेष अवस्थी ने अपने गीतों से गोष्ठी को नई दिशा दी उन्होंने सुनाया कि हे ऋतु बसंत पधारो मोरे घर ऑगना स्वागतम स्वागतम है। यही कामना इसके उपरांत रामनिवास उपाध्याय ने सुनाया कि तकरीर ऐ मुहब्बत तकरार बन गई है। आतंकियों की फितरत खूंख्वार बन गई है।। कवि महेंद्र पाल सिंह ने सुनाया कि परीक्षा के प्रति त्यारी भावना से भावुक हूँ, रहा नहीं जाता है बताने का उत्सुक हूँ। डा0ओम प्रपन्न शास्त्री ने कविता से अपना संदेश यूँ दिया कि मत करो किसीकी नकल अकल से कुछ करना सीखो। मत चलो किसी के बल से खुद चलना सीखो।। इसके बाद अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ ही गोष्ठी का समापन किया गया। इस दौरान भूपेन्द्र शर्मा, धर्मेन्द्र सिंह यदुवंशी, वीरेन्द्रसिंह सोलंकी, आदि कवियों ने भी अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इनपुट : आविद हुसैन

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