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सासनी : लड़ाई में जब रानी लक्ष्मीबाई की हार तकरीबन निश्चित हो रही थी तो झलकारी और अन्य सेनापतियों ने रानी को किले से सुरक्षित निकलने की सलाह दी। सलाह मानते हुए रानी अपने कुछ विश्वासपात्र सैनिकों के साथ झांसी से दूर निकल गईं और उधर झलकारी ने रानी की तरह वेशभूषा धारण कर झांसी की सेना का नेतृत्व करते हुए अपने प्राणों की आहूती दे दी।
यह विचार सासनी चेयरमैन लालता प्रसाद माहौर ने झलकारीवाई की 190 वीं जयतीं के मौके पर उनके छबिचित्र के सामने दीप जलाकर एवं माल्यार्पण कर उस लौह नारी को याद करते हुए प्रकट किए। चेयरमैन ने कहा कि एक बार झलकारी बाई जंगल से लकड़ी काट कर ला रही थी, तो उसका सामना एक खूंखार चीते से हो गया। झलकारी ने कटार के एक वार से चीते का काम तमाम कर दिया और उसकी लाश कन्धे पर लादकर ले आई। ऐसी वीरोचित घटनाओं से झलकारी पूरे गांव की प्रिय बेटी बन गई। झलकारी वाई की वीरता की कहानियां हमें अपने बच्चों को सुनानी चाहिए। वहीं देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाली ऐसी बिभूति के बलिदान से हमें देशप्रेम की बात सीखने को मिलती है। इस दौरान रामवीर माहौर, मण्डल उपाध्यक्ष भाजपा अनु0 मोर्चा, रोहित माहौर आदि दर्जनों लोग मौजूद रहे।