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कस्बा की मशहूर संस्था शमां के तहत मोहल्ला आशानगर में एक नातिया मुशायरा के अयोजन का तफसिया हुआ। जिसमें दूर दराज से आए मौलाना व नात खां ने तमाम रात खूबसूरत अंदाज के प्रोग्राम को पेश किया।
बुध को प्रोग्राम का आगाज नूरी मस्जिद के पेश इमाम मोहम्मद सज्जाद ने तिलावत से किया। तभी हाथरस से तशरीफ लाए मौलाना मजाहिर रजा ने अपनी तकरीर में एकता और देश में अमन-ओ-चैन की दुआयें की। वहीं इरुान रजा ने अपनी नातेषरीफ में पढा कि तजकरे आप के जहां जहां होंगे, नूर के सिलसिले वहां, वहां होंगे, आओ मिलकर करें हम जिकरे नवी, कल खुदा जाने कहां तुम और कहां हम होंगे।। इसके बाद दिलशाद बिलाली ने पढा कि इलाही ऐसा कोई इत्जाम हो जाए, दर-ए-हुजूर पे हाजिर गुलाम हो जाए।। नातिया का संचालन कर रहे डा. शाहिद ने कलाम पेश करते हुए पढा कि हर अलम जिस्तका मंस-ए- कुरां रखना, अजमेत दी पे कुरवान दिल-ओ-जान रखना, खुद ही बन जायेंगे असवाव तेरी बख्शीश के अपनी औलाद में इक हाफिजे कुरान रखना।। इके बाद हनीफ संदली ने कहा कि तभी बो साहिबे ईमान हो नहीं सकता, मुहम्मदी की वो पहचान हो नहीं सकता, रसूले पाक को अपनी तरह जो बतलाए कसम खुदा की मुस्लमान हो नहीं सकता।। रात भर चले प्रोग्राम में शिरकत करने वालों में कासिम रजा, शोहिल रजा, समीर भाई, दानिश, नदीम, फुकरान, अली, टिंकू आदि की मौजूदगी रही।

INPUT – Avid Hussain