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आखिर में इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?? कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम हो रही है। मगर, मौत का बढ़ता हुआ आंकड़ा डराने लगा है।

ताजनगरी में मार्च में कोरोना के 12 केस आए थे, एक भी मरीज की मौत नहीं हुई। अप्रैल में कोरोना संक्रमित अधिकांश मरीज मामूली लक्षण वाले थे। वहीं, 20 फीसद मरीजों को कोराेना के लक्षण मिलने पर भर्ती किया गया। इसमें भी गंभीर हालत में भर्ती होने वाले मरीज 10 फीसद थे। मगर, मई में गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ गई। इससे कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत होने लगी। जून में गंभीर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में सांस लेने में परेशानी होने पर गंभीर हालत में मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। इन मरीजों की उम्र 50 साल से अधिक है, कई और बीमारियां भी होने से मौत का आंकड़ा बढ़ गया है। जून में 248 कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं, 37 मरीजों की मौत हो चुकी है। इस तरह जून में भर्ती होने वाले 14. 91 फीसद मरीजों की मौत हुई है। कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का यह आंकड़ा मार्च से मई तक 4.72 फीसद था।

भर्ती कराने के 12 घंटे से लेकर तीन दिन में मौत

कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों को भर्ती कराने के 12 घंटे से लेकर तीन दिन में मौत हो रही है। कुछ केस में मौत होने के बाद कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो रही है। इनमें से अधिकांश मरीज गंभीर हालत में भर्ती हो रहे हैं।

कांटेक्ट ट्रेसिंग से संक्रमित होने पर चल सकता है पता

कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद वह किस के संपर्क में आए, यह पता कर उन लोगों के सैंपल कराए जाने चाहिए। मगर, मई के अंत से कांटेक्ट ट्रेसिंग बंद कर दी गई। कोरोना संक्रमित मरीज के घर के आस पास बल्ली लगाकर कंटेनमेंट जोन बना दिया जाता है। इनके भी सैंपल बाद में कराए गए ।

ऐसे में कोरोना संक्रमित मरीज जिन लोगों के संपर्क में आए , वह संक्रमित हो रहे हैं। जिन लोगों की उम्र 60 साल से अधिक है, उन्हें संक्रमण के बाद कमजोरी, हल्का बुखार, थकान की समस्या हो रही है। कई दिन तक इसी तरह की समस्या होने के बाद सांस लेने में परेशानी होने पर भर्ती कराया जा रहा है। ऐसे में दो से तीन दिन में मौत हो रही है |

INPUT – Mahipal singh