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हाथरस : एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक हृयूमन राइट्स के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन वार्ष्णेय ने मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को पत्र ईमेल कर शराब के ठेकों को खोलने का जताया विरोध

प्रवीन वार्ष्णेय ने विरोध जताते हुए लिखा कि वैश्विक बीमारी कोविद-19 की वजह से लाँकडाउन होने के कारण आम आदमी की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। उसके ऊपर सरकार द्वारा शराब के ठेकों को खोलने का निर्णय काफी चकित करने वाला है। इससे गरीब परिवारों में लड़ाई- झगड़े शुरू हो जाएंगे और शराब की लत के कारण व्यक्ति घर की महिलाओं के जेवरात बेचकर अपना शौक पूरा करेगा और परिवार में खाने को कुछ नहीं लाएगा राशन/ खाने के लिए सरकारी मदद अथवा एनजीओ की तरफ देखेगा और जो सरकारी मदद बैंक खातों में आ रही है उसको भी शराब के नशे में खर्च करेगा ऐसी परिस्थिति में शराब के ठेके खोलने का निर्णय जनहित में नहीं है।
प्रवीन वार्ष्णेय ने विरोध के बाद दो सुझाव और दिये पहला सुझाव दिया कि अगर सरकार को लगता है कि शराब के ठेके खोलना जरूरी है। तो ऐसी स्थिति में सरकार शराब को आधार कार्ड से बिक्री कराये जिससे ऐसे व्यक्ति का नाम सरकारी सहायता ,मुफ्त राशन लेने आदि जरूरतमंद की लिस्ट से हटा दिया जाए जो व्यक्ति शराब पीकर अपने शौक पूरा कर सकता है वह अपने परिवार का पालन पोषण स्वयं भी कर सकता है। उसको सरकारी सहायता की आवश्यकता नहीं है
दूसरा सुझाव दिया कि अगर सरकार को राजस्व की ज्यादा ही चिंता है और सरकार मानती है कि शराब से ही उसको राजस्व प्राप्त हो सकता है तो इस संबंध में हमारा एक और सुझाव है कि शराब पर 100% कोविद टैक्स (कोरोना सेस) लगा दिया जाए (यानी ₹100 की शराब पर ₹100 का कोविद टैक्स) लगाकर सरकार काफी राजस्व एकत्रित कर सकती है।
अन्त में मांग की कि जो उचित और जनहित में हो सरकार आम लोगों को राहत पहुचाएं।

इनपुट : राजदीप तोमर

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