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सासनी (हाथरस) : कोविड-19 और क्लाइमेट चेंज से निपटना तब कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा अगर आप गैर-जरूरी आर्थिक गतिविधियों को कम कर देंगे। क्लाइमेट चेंज के मामले में अगर आप उत्पादन कम करेंगे तो आप कम ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे और इस तरह से कम ग्रीनहाउस गैसों को उत्सर्जन होगा।
यह बातें सासनी-गदाखेडा रोड स्थित गुनगुन कांन्वेट स्कूल शिक्षिका रजनी गुप्ता ने बताईं उन्होने कहा कि कोरोना की महामारी से भले ही अभी निपटने का तरीका नहीं समझ आ रहा है, लेकिन इसका मूल लॉजिक बेहद आसान है। जो लोग आपस में मिलजुल रहे हैं, और संक्रमण फैला रहे हैं। ऐसा घरों में भी हो रहा है, संक्रामक बीमारियों के लिए एक आम कंट्रोल स्ट्रैटिजी कॉन्टैक्ट ढूंढना और आइसोलेशन है। जितनी काबिलियत से आप इन कॉन्टैक्ट्स को ढूंढ लेते हैं, उतने ही प्रभावी तरीके से आप संक्रमण पर काबू पाने में सफल होते हैं। वुहान में जो हुआ उससे हमें सामाजिक दूरी और लॉकडाउन के उपाय अपनाने पड़े जो कि प्रभावी साबित हुए। कोरोना वायरस का खात्मा नहीं किया जा सकता है और संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त एहतियात बरतकर हमें इसके साथ रहना होगा। यदि एक वर्ष या इसके बाद ही वायरस का टीका विकसित किया जा सकता है। और तब तक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए सामूहिक प्रतिरोधक का विकास करना ही एकमात्र विकल्प है। यदि हम सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हैं तब ही इस प्रसार को रोकने का एकमात्र यही तरीका होगा।
इनपुट : आविद हुसैन
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