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दिल्ली : दोस्तो वैसे तो valentine की बहुत सी कहानियां बनी हुई है लेकिन जो इसकी सत्यता को साबित करती है, वो कहानी है रोम की तीसरी शताब्दी की , जहाँ एक क्रूर राजा क्लॉडियस हुआ करता था , जो की शादी के खिलाफ था, और उसने ऐलान किया कि आज से कोई भी शादी नहीं करेगा क्योंकि उसका कहना था कि शादी से एक व्यक्ति की शक्ति खत्म होती है। संत वैलेंटाइन इस बात से प्रभावित नहीं हुए। और उन्होंने इसका विरोध किया, वह चुपके से कई प्रेमी युगलों की शादी भी कराते रहे। जब इस बात की जानकारी क्लॉडियस को हुई तो उन्होंने सेंट वैलेंटाइन को फांसी का फरमान दिया, और फांसी पर चढ़ा दिया बस तभी से संत वैलेंटाइन की याद में यह दिन आज तक मनाया जाता है । Valentine Day एक Fashion सा बन गया है।
लेकिन ये कहानी विदेशी संसकृति की है ,तो फिर भारत में इस दिन को मनाने की शुरुआत कहाँ से हुई सवाल यह उठता है
यह शुरुआत भारत में व्यापारियों द्वारा की गई क्योंकि 90 के दशक में लोगों का इंटरेस्ट टीवी की तरफ ज्यादा बढ़ा लोगों की पहुंच विदेशी चैनलों तक गई ,और वैलेंटाइन डे से प्रभावित हुए ।जब इस दिन के बारे में व्यापारियों को पता चला तो उन्होंने अपने व्यापार को और बढ़ाने के लिए प्रत्येक दिन के अकॉर्डिंग सामग्री का अरेंजमेंट करना शुरू कर दिया। व्यापारियों ने लोगों को बढ़ावा दिया जैसे कि अपने व्यापार को और बढ़ाने के लिए ग्रीटिंग, रोज, टेडी, गिफ्ट, बेचना प्रारंभ किया। तभी से इस दिन को भारत में सांस्कृतिक तौर पर मनाया जाने लगा ।
लाभ लेकिन आज इतनी प्रचलिता को देखकर कई पॉलिटिक पार्टियों ने इसका विरोध किया किसी ने अनचाही घुसपैठ और भारत की सांस्कृतिक को खराब करने का आरोप लगाया। तथा अश्लीलता फैलाने का भी आरोप दिया,
लेकिन वास्तव में देखा जाए तो विरोधियों द्वारा इस दिन पर रोक लगाने का कारण सही है , क्योंकि भारतीय लोग नहीं चाहते कि भारतीय सांस्कृतिक खराब हो और भारतीय संस्कृति पर विदेशी संस्कृति का कोई भी असर हो इसलिए सभी लोगों को ध्यान में रखकर इस दिन को मनाना चाहिए,क्योंकि लज्जा भारतीय संस्कृति का श्रृंगार है।
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