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सादाबाद : ‘पानी अनमोल है’ यह बात कहने सुनने में तो अच्छा लगता है, मगर कभी पानी बर्बाद करने किसी व्यक्ति को टोकने पर टका सा जवाब मिलता है, ‘यह पानी आप का तो नहीं है?’ आखिर लोग पानी का मोल कब समझेंगे? महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसी भयावह स्थिति पैदा होने पर? तब तक हालात बेकाबू हो चुके होंगे।

अंधाधुंध भूजल दोहन के चलते सादाबाद ब्लॉक के हालात भयावह हो चुके हैं। भूजल स्तर यहां लगातार गिर रहा है और गांवों में खारे पानी की समस्या बढ़ रही है। दो दशक में कई और गांव खारे पानी की जद में आ चुके हैं। डार्कजोन में शामिल होने के बावजूद लोग जल संरक्षण के प्रति गंभीर नहीं हो रहे हैं। पानी की ऐसी ही बर्बादी होती रही तो वह दिन दूर नहीं, जब पूरे सादाबाद में पीने योग्य पानी नहीं बचेगा। भूजल संरक्षण अभियान की दूसरी कड़ी में सादाबाद ब्लाक के हालातों का जायजा लेती संवाददाता विपिन चौधरी की टीम

जानकारों की मानें तो दो दशक पहले तक सादाबाद नगर और देहात क्षेत्र में 60-70 फीट पर पानी मिल जाता था। तब मजदूर हाथ से ही बोरिग कर देते थे। अब वाटर लेवल 150 फीट तक पहुंच गया है। इसके लिए मशीन से बोरिग कराई जाती है। वहीं सबमर्सिबल के लिए 200 से 225 फीट तक बोरिग करानी पड़ रही है। अगर पानी की बर्बादी रोकने और जल संचयन के बारे में नहीं सोचा गया तो वह दिन दूर नहीं जब पानी के लिए 300 फीट तक बोरिग करानी पड़ेगी। अंधाधुंध पानी का दोहन

सबमर्सिबल के लिए

225 फीट की बोरिग

जानकारों की मानें तो दो दशक पहले तक सादाबाद नगर और देहात क्षेत्र में 60-70 फीट पर पानी मिल जाता था। तब मजदूर हाथ से ही बोरिग कर देते थे। अब वाटर लेवल 150 फीट तक पहुंच गया है। इसके लिए मशीन से बोरिग कराई जाती है। वहीं सबमर्सिबल के लिए 200 से 225 फीट तक बोरिग करानी पड़ रही है। अगर पानी की बर्बादी रोकने और जल संचयन के बारे में नहीं सोचा गया तो वह दिन दूर नहीं जब पानी के लिए 300 फीट तक बोरिग करानी पड़ेगी। अंधाधुंध पानी का दोहन

नगर में भी जलस्तर तेजी से गिर रहा है। इसी वजह से सादाबाद ब्लॉक डार्क जोन में शामिल कर दिया गया है। यहां नलकूप संयोजन पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। नगर में हर दूसरे घर में सबमर्सिबल लगे होने के कारण पानी की अंधाधुंध दोहन हो रहा है। नगर क्षेत्र में अवैध रूप से पानी के कई प्लांट भी चलाए जा रहे हैं। इसमें भी पानी की काफी बर्बादी होती है। खेत सींच रहीं सबमर्सिबल

सादाबाद ब्लाक डार्क जोन में शामिल होने से यहां नलकूप कनेक्शन पर रोक है। जिन लोगों के पुराने संयोजन हैं, उनसे खेतों की सिचाई संभव नहीं हो पा रही है। बड़ी संख्या में किसानों ने खेतों में घरेलू सबमर्सिबल लगवानी शुरू कर दी है। इससे गांवों में खेती की सिंचाई हो रही है। इसमें समय जरूर ज्यादा लगता है लेकिन किसानों का काम चल जाता है। इस पर भी विभाग का कोई ध्यान नहीं है। कई किलोमीटर दूर

से ला रहे पेयजल

सादाबाद क्षेत्र के पहले कुछ गांवों में ही खारे पानी की समस्या थी, लेकिन जैसे-जैसे वाटर लेवल नीचे गिरता गया, खारे पानी की समस्या भी विकराल होती गई। अब छह ग्राम पंचायतों के सैकड़ों गांव खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। कुछ गांवों में पानी की टंकियों से पीने योग्य पानी मिल जाता है, मगर ज्यादातर गांवों के लोग दूर दराज से पेयजल लाते हैं। खारे पानी को इंसान तो क्या मवेशी भी नहीं पीते। यहां नलों पर लंबी लाइन लगती है। खारे पानी से बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है। शरीर में पानी की कमी, चर्म रोग, हड्डी रोग, दर्द, लिवर में खराबी, आदि कई बीमारियां फैल रही हैं। रजबहे सूखने से बढ़ी समस्या

सादाबाद क्षेत्र से गुजर रही करवन नदी से शहर और देहात क्षेत्र का भूजल स्तर बेहतर था, लेकिन साल-दर-साल यह नदी अपना स्वरूप खोती चली गई। अब यह नाला बनकर रह गई है। कई पोखरों पर कब्जे हो गए। इससे भूजल स्तर और गिरता चला गया।

शादी, संबंधों में बाधा

खारे पानी की समस्या से प्रभावित गांवों में परिवार से एक दो लोग तो दूर दराज से पानी लाने की जिम्मेदारी संभालते हैं। जब कोई इन गांवों में बेटी का रिश्ता तय करने आता है और उसे पानी की समस्या का पता चलता है तो वह रिश्ता तय करने से मना कर देता है। इस समस्या के समाधान के लिए तमाम लोग गांव छोड़कर सादाबाद में बस गए हैं और कुछ तो क्षेत्र ही छोड़ गये हैं। गांवों में आरओ का धंधा

खारे पानी की समस्या के चलते गांव में आरओ का प्रयोग तेजी से बढ़ा है। खारे पानी को पीने योग्य बनाने के लिए देहात में सम्पन्न परिवारों में आरओ लगाए जा रहे हैं। इससे पानी की बर्बादी तो होती है लेकिन लोग मजबूर हैं। खारे पानी के चलते आरओ का प्रयोग करने लगे हैं, क्योंकि दूर से पानी भरकर लाना बेहद मुश्किल हो रहा है।

जलसंचयन के साधन और

जागरूकता अभियान बेकार

क्षेत्र में जलसंचय के साधनों की भारी कमी है। इस तरह का कोई प्रयास प्रशासन की ओर से नहीं किया जा रहा है, जिससे निष्प्रयोज्य जल का संचय किया जा सके। अगर जल संचय का साधन सशक्त हो तो जलस्तर में सुधार हो सकता है। व्यर्थ पानी बहाने को लेकर जागरूकता अभियान भी शून्य है। हालांकि नगर पंचायत की ओर से अपील समय समय पर की जाती है, लेकिन इसका असर दिखाई नहीं देता।

खारे पानी से प्रभावित ग्राम पंचायतें

जारऊ, गोविन्दपुर, बिसावर, मन्स्या, नौगांव, कुरसंडा, मिढ़ावली, छावा, गुरसौटी, जैतई, वेदई, गहचैली, गुखरौली आदि।

यहां लगी हैं टंकियां

कुरसंडा में दो, नगला ध्यान में एक, नौगांव में एक, वेदई में एक, नगला हीरालाल मिढ़ावली में एक। वहीं थलूगढ़ी व मन्स्या में नलकूप लगाए गए हैं।

INPUT : Vipin Chaudhary

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