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अँधेरे में उजाले – सी कमलकारों की दुनिया है
ये दुनिया से अलग हट कर सजलकारों की दुनिया है
हृदय में आँधियाँ, आँसू नयन में , गीत अधरों पर
सृजन का पंथ पथरीला , ये अंगारों की दुनिया है
इधर जो झोंपड़ी में जी रहे हैं, जिन्दगी तो है
बड़ी बेजान-सी वो कोठियों-कारों की दुनिया है
सजा सालों में थोड़ी-सी, कमाई सात पीढ़ी की
बहुत कमजोर-सी कानूनी उपचारों की दुनिया है
हमारे इन अँधेरों को चुनावों का नहीं कुछ डर
सँभालों तुम तुम्हारी जो उजियारों की दुनिया है
– डॉ. अनिल गहलौत
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