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पुरदिलनगर : फूल डोल मेला में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया । जिसकी अध्यक्षता डा० सत्य प्रकाश शर्मा सत्य ने तथा संचालन हास्य के राष्ट्रीय कवि सतीश मधुप ने किया । सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन मेला कमेटी एवं आगुन्तक बन्धुओं द्वारा कियागया । ततपश्चात कविता की रसधार बही जिसमें
सर्व प्रथम सिष्यव कवि विवेकशील राघव ने पढ़ा
सामने अंधों के क्या दर्पण करेंगे
शब्द हैं हम पर, वही अर्पण करेंगे
कल शुरू होगी शहर में रामलीला
जिसका उद्‌घाटन स्वयं रावण करेंगे।
कासगंज से पधारे श्रंगार कवि विपिन शर्मा ने पढ़ा
प्रेम की जो कथा थी, व्यथा बन गई
प्रीति में हम छले के छले रह गए
तु न बह जाये आँखों से मेरी कहीं
नैन प्याले भरे के भरे रह गए।
मुरसान से पधारे हास्य कवि सम्राट सबरस मुरसानी ने पढ़ा
भारत में खेलत होली नेता लाल,
एक साल की होइ तो खेलें ये खेलत पंच साल
छाता मथुरा से पधारे श्रंगार के कवि श्याम सुन्दर शर्मा अकिंचन ने पढ़ा
चोट दर चोट सहता है ये घायल का मुकद्दर हे, लिपर कर पाँव से बजती ये पायल कामुकद्दर है। ‘अकिंचन’ दीद को कोई उमर सारी तरसता है,
मैं नमें चैन से सोता ये काजल का मुकद्दर है।
आगरा से पधारे ओज कवि मोहित सक्सेना ने पढ़ा
कौन लड़ाता राणा को अकबर की भीषण सेना से गिरे हुए गाण्डीव धनुष को अर्जुन से उठवाता कौन ,
ओज कवि यदि चीख चीख मन्दिर पर बात नहीं करते
पुन रामलला के मन्दिर को बनवाता कौन
लखनऊ से पधारी श्रंगार की कवित्री डॉ. सरला शर्मा ने पढ़ा
है खुसरों की जमीं रब की इनायत साथ रहती है-
यहाँ तुलसी की चौपाई अमां की बात कहती है यहाँ हिन्दू-मुसलमा में नहीं है फासला कोई
की इक ही जब में गंगा जमुना की तहजीब बहती है
हरदोई से पधारी श्रंगार कवित्री पल्लवी मिश्रा ने पढ़ा
कोई जिद भी नहीं कि यही चाहिए
राजा महलों का मुझको, नहीं चाही चाहिए
एक विनती मेरी मेरे बाबुल सुनो,
मुझको रोने न दे बस यही चाहिए.
स्थानीय कवि सत्यप्रकाश शर्मा सत्य ने पढ़ा
मेरे भारत की माटी तो चन्दन का भी चंदन है
आओ हम एक सब करते हैं
इस भारत माँ का वंदन है
वंदे मातरम, वंदे मातरम.
सिकन्द्राराऊ से पधारे हास्य कवि देवेन्द्र दीक्षित शूल ने पढ़ा और भ्रष्टाचारियों को चेतावनी दी
दाम कमा सकता बहुत करके खोटे काम
पर दाम काम ना आयेंगे जब आड़े होंगे राम।”
मैनपुरी से पधारे  ओज कवि सतीश मधुप जी पढ़ा
केसरिया पावक सा पावन अग्नि नहीं फुकने देना
हरा रंग हरियाली वाला चक्र नहीं रूकने देना
मां की चादर श्वेत वर्ण की इस पर दाग न लग जाये
मंदिर मस्जिद के झगड़े में झण्डा मत झुकने देना
कार्यक्रम संयोजक कवि डा० दत्तात्रेय द्विवेदी ने पढ़ा
हर किसी को जिन्दगी में किनारा नही मिलता । हृदय में चैन आये इशारा नही मिलता
सुख-दुख में यूँ ही जिन्दगी गुजारते है लोग । गर्दिश में अपनों की भी, सहारा नही मिलता ॥
इस मौके पर सुरेश चन्द्र आर्य, बंटी आर्य,अनिरूद्ध व्याणी,सोनू व्याणी,वरूण राठी,शशी भारद्वाज,हरीश गोयल ,बोबी जाखेटिया,विनीत जाखेटिया,जगन्नाथ राठी,एवं सैकड़ो की संख्या में श्रोता मौजूद रहे ।
INPUT – PUSHPKANT SHARMA
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