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सिकंदराराऊ : अयोध्या कॉलोनी में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन गुरुवार को कथा व्यास हरिओम शास्त्री भारद्वाज ने सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जी से समझा जा सकता है। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे लेकिन द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं, इसपर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। देखि सुदामा की दीन दशा करुणा करिके करुणानिधि रोए । सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब भी भक्तों पर विपदा आई है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमदभागवत कथा सुनाई। जिससे उनके हृदय से मृत्यु का भय निकल गया । तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा का श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते हैं। इसी के साथ ही व्यास पूजन कर कथा का विराम हो गया । कथा को सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए ।
इस मौके पर वीरपाल सिंह यादव, ऊषा यादव, राधा गुप्ता, पिंकी गुप्ता, रेनू गर्ग आदि मौजूद रहे।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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