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अलीगढ़: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अलीगढ़ महानगर द्वारा महानगर छात्रा सम्मलेन का आयोजन पुण्यश्लोक आहिल्या बाई होलकर जी के त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य अलीगढ महानगर द्वारा श्री वार्ष्णेय मंदिर के सभागार में छात्रा सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी पूनम पाली , विशिष्ट अतिथि सदर विधायिका मुक्त संजीव राजा, मुख्य वक्ता प्रियंका तिवारी,कार्यक्रम अध्यक्ष कल्पना सिंह, महानगर उपाध्यक्ष रीता गुप्ता कार्यक्रम संयोजक ख़ुशी सिंह ने सयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्य वक्ता एवं प्रांत मीडिया संयोजक प्रियंका तिवारी ने बताया कि विद्यार्थी परिषद इस वर्ष पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर जी के त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य पर अभाविप द्वारा आयोजित की जा रही मानव दान यात्रा का लोकमाता अहिल्याबाई की जन्मभूमि चौंडी (महाराष्ट्र) से लाई गई पवित्र मिट्टी के कलश के पूजन से हुआ। इसके बाद मां अहिल्या घाट पर नर्मदा मैया का पूजन, राजगद्दी का पूजन, मातोश्री समाधि का पूजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।
यह यात्रा लगभग 1300 किमी की दूरी तय करते हुए 21 नवम्बर को गोरखपुर होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन स्थल पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर नगर, गोरखपुर में संपन्न होगी।
मुख्य अतिथि पूनम पाली की ने कहा अहिल्याबाई होळकर ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया।इन्दौर में प्रति वर्ष भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी के दिन अहिल्योत्सव होता चला आता है। अहिल्याबाई होळकर जब 6 महीने के लिये पूरे भारत की यात्रा पर गई तो ग्राम उबदी के पास स्थित कस्बे अकावल्या के पाटीदार को राजकाज सौंप गई, जो हमेशा वहाँ जाया करते थे। उनके राज्य संचालन से प्रसन्न होकर अहिल्याबाई होळकर ने आधा राज्य देेने को कहा परन्तु उन्होंने सिर्फ यह माँगा कि महेश्वर में मेरे समाज लोग यदि मुर्दो को जलाने आये तो कपड़ो समेत जलाये।
कार्यक्रम अध्यक्ष कल्पना सिंह ने बताया महिला सशक्तिकरण समाज के समग्र विकास के लिए अहम है. महिलाएं कॉर्पोरेट जगत में, पुलिस, नौसेना, सेना जैसी सुरक्षा सेवाओं में, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रही हैं. आर्थिक सशक्तिकरण महिलाओं की आर्थिक क्षमताओं और अवसरों को बढ़ाने पर केंद्रित है। इसमें वित्तीय संसाधनों तक पहुँच, नौकरी के अवसर, उद्यमिता, कौशल विकास और समान कार्य के लिए समान वेतन शामिल हैं। आर्थिक सशक्तिकरण महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने, अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने और अपने समुदायों के समग्र आर्थिक विकास में योगदान करने में सक्षम बनाता है।
इस दौरान निखिता, ज्योति, रेखा, दीक्षा, लक्ष्मी, बुलबुल, नीतू, चित्रा, कुमकुम, साक्षी, रश्मि, नम्रता आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।