Visitors have accessed this post 16 times.

हाथरस : आज से देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जांगेगे और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। आज के दिन घर में महिलाएं घर में देवों को जगाती हैं। इस दिन घर में किस तरह देव बनाए जाते हैं और किस तरह उन्हें जगाया जाता है। इसके लिए सभी के अलग-अलग परंपरा होती हैं। सभी अलग-अलग तरह से अपने-अपने रीति-रिवाजों के साथ देवों तो उठाते हैं। इसके लिए पहले गेरु और चावल के आटे से देवताओं को बनाया जाता है। तो आइए जानते हैं, कैसे देव बनाए जाते हैं और किस तरह उन्हें उठाया जाता है। देव उठानी एकादशी को लेकर बाजारां में अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। वही बाजारों में देवउठानी एकादशी के पूजा सामग्री व गन्ने आदि की दुकानें सुजी दिखी।
देवउठनी एकादशी से शहर में गूंजी शहनाई-
एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाएगी, हिंदू पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है, दरअसल, भगवान विष्णु आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से निद्रा में चले जाते हैं और 4 महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निद्रा से जागते हैं, इसलिए इसे देव उठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, देवउठनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होने लगते है। सुबह से शहर के अधिकांश गेस्ट हाउस, मैरिज होम, पूरी तरह से फूल दिये और सभी गेस्ट हाउसां पर तैयारियां देखने को मिली, तो कुछ जगहों पर गीत मंगल कार्यो देखने को मिले।
देवउठनी एकादशी पर देव कैसे मण्डे, कैसे जगाएं देवता
शाम के समय प्रदोष काल में देवताओं को जगाया जाता है? इसके लिए गेरू और चावल का आटा भिगाकर लिया जाता है। फिर किसी स्टिक की सहायता से पहले एक आयताकार आकृति बना लें, जिसका एक सिरा खुला हो, जैसे किसी घर की चार दिवारी होती है। पहले इसका बॉर्डर सजा लें। इसके बाद इसमें विष्णु भगवान बनाएं और उनके हाथ में कमल और चन दें। फिर माता लक्ष्मी बनाएं। इसके बाद इसमें तुलसी जी की फोटो, अष्टदल कमल, स्वर्ग की सीढ़ी, सूरज, चांद, स्वास्तिक, पंचदेव आदि बनाए जाते हैं। इसके बाद विष्णु जी से होती हुई एक रेखा जमीन तक लाकर उसका चक्र बना देते हैं। जमीन पर आस-पास अपने परिवार के सदस्यों के पैर बनाए जाते हैं। फिर गेहूं, सब्जियां, सिंघाड़े, शकरकंद, आंवला, फल आदि रखना चाहिए। कुछ दक्षिणा रखें और दूध की सेवई और कोई मिठाई रखी जाती है। इसके बाद परात से इसे ढ़ककर इस पर स्वास्तिक बनाकर इस थाली पर हाथ की थपकी दी जाती है, और गीत गाए जाते हैं, उठो देव बैठो देव, और फिर जल अर्पित करके फिर उनके हाथ-जोड़कर भगवान को तिलक लगाएं और फिर पांच दीपक जलाए जाते हैं। इसके बाद प्रार्थना करें और भगवान से क्षमा याचिनी करनी चाहिए।

INPUT – BUERO REPORT

यह भी देखें: