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हसायन :- हिंदू धर्म में पितरों के श्राद्ध को महत्वपूर्ण माना गया है भाद्र मास की पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू होता है प्राचीन सनातन धर्म के अनुसार हमारे पूर्वज देवतुल्य हैं और इस धरा पर हमने जीवन प्राप्त किया है और जिस प्रकार उन्होंने हमारा लालन पालन कर हमें कृतार्थ किया है उससे हम उनके ऋणी हैं समर्पण और कृतज्ञता कि इसी भावना से श्राद्ध पक्ष प्रेरित है श्राद्ध करने से कुल में कोई दुखी नहीं रहता पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु पुत्र यश स्वर्ग कीर्ति पुष्टि बल श्री पशु सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है स्वयं भगवान श्री कृष्ण गीता में उपदेशित करते हैं कि देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी होता है श्राद्ध पक्ष में 16 दिन पितरों अर्थात श्राद्ध कर्म के लिए विशेष रूप से निर्धारित किए गए हैं यही अवधि पितृपक्ष के नाम से जानी जाती है गरुड़ पुराण के अनुसार पितृपक्ष में अगर कौवा श्रद्धा का भोजन ग्रहण कर ले तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।।

INPUT-YATENDRA SINGH