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हाथरस । भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के 15 दिन बाद बाद लाडली राधा रानी क जन्मोत्सव भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे राधाष्टमी भी कहा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि आज रात्रि 11:11 मिनट से प्रारंभ हो रही है जो कि कल रात्रि 11:46 बजे समाप्त होगी ऐसे में उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर बुधवार यानि कल मनाया जाएगा।

वैदिक ज्योतिष संस्थान के गौरव शास्त्री के अनुसार इस बार राधा अष्टमी पर प्रीति योग,आयुष्मान एवं रवि योग के साथ भद्रावास योग का निर्माण भी हो रहा है,इन शुभ योगों में राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। राधा रानी की पूजा मध्याह्न काल के दौरान की जाती यह दोपहर का समय होता है अतः कल पूजन के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 11:02 मिनट से दोपहर 01:31 मिनट तक रहेगा।
राधाष्टमी व्रत के महत्व के बारे में शास्त्री जी ने बताया कि यह व्रत श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही रखा जाता है। इस दिन राधा रानी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। राधा रानी की पूजा उपासना से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है साथ ही वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार राधा रानी जी को प्रसन्न कर लेने से योगीराज भगवान श्री कृष्ण स्वयं प्रसन्न हो जाते हैं क्योंकि राधा रानी के विना भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी अधूरी मानी जाती है। व्रत करने वाले जातक प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में मंडप के नीचे मंडल बनाकर मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें। राधा रानी की प्रतिमा का विधि विधान से स्नान करवाकर सुंदर वस्त्र पहनाकर मध्याह्न काल में षोडशोपचार से पूजन करें, पूजन के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर अगले दिन श्रद्धानुसार सुहागिनों तथा ब्राह्मणों को भोजन करवाकर सामर्थ्य के अनुसार उन्हें दक्षिणा दें।

इनपुट : विनय चतुर्वेदी