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अलीगढ : भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि बड़े ही धूम धाम से देशभर में मनायी जाती है।गणेश पुराण व स्कन्द पुराण के अनुसार,गणेश जी का जन्म भाद्रपद महीने के दौरान शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर हुआ था। प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश चतुर्थी के विषय में यह जानकारी वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दी।
स्वामी जी ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03:01 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 7 सितंबर को सांय 05:37 मिनट पर समाप्त होगी,परन्तु उदया तिथि एवं चंद्र दर्शन निषेध होने के कारण 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी व्रत एवं मूर्ति स्थापना की जाएगी। इस बार गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म,सर्वार्थ सिद्धि योग व इन्द्र योग के साथ चित्रा एवं स्वाती नक्षत्र का निर्माण भी हो रहा है।
गणेश पूजा के विषय में स्वामी जी ने बताया कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था,इसीलिए मध्याह्न समय को गणेश पूजा के लिये अति उत्तम माना जाता है। अतः मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त प्रातः 11:03 मिनट से सांय 01:34 मिनट तक लगभग 2 घंटे 31 मिनट तक रहेगा। इस समय पवित्र स्थान से ली गयी मिट्टी से निर्मित गणेश प्रतिमा का विधि विधान से स्थापना कर चंदन एवं रोली से पूजन कर एक दिन,पांच दिन अथवा दस दिन तक प्रतिमा स्थापित करें और प्रतिदिन विधि विधान से पूजन अर्चन कर विसर्जन करें।स्वामी जी ने सभी भक्तों से अपील करते हुए कहा कि गणेश विसर्जन में केवल मिट्टी से निर्मित प्रतिमा का ही प्रयोग करें क्योंकि रासायन युक्त प्रतिमा अथवा पी.ओ.पी. प्रतिमा से नदी अथवा तालाब के जल का प्रदूषण बढ़ जायेगा।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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