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सिकंदराराऊ : गोवर्धन का अर्थ है गो संवर्धन। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत मात्र इसीलिए उठाया था कि पृथ्वी पर फैली बुराइयों का अंत केवल प्रकृति एवं गो संवर्धन से ही हो सकता है।
यह उद्गार पथवारी माता मंदिर पर चल रही श्रीमदभागवत कथा में शुक्रवार को कथावाचक सुभाषचंद्र दीक्षित ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अगर हम बिना कर्म करे फल की प्राप्ति चाहेंगे तो वह कभी नहीं मिलेगा, कर्म तो हमें करना ही होगा।
कथावाचक ने गोवर्धन पर्वत की कथा सुनाते हुए कहा कि इंद्र के कुपित होने पर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन उठा लिया था। इसमें ब्रजवासियों ने भी अपना-अपना सहयोग दिया। श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए राक्षसों का अंत किया तथा ब्रजवासियों को पुरानी चली रही सामाजिक कुरीतियों को मिटाने एवं निष्काम कर्म के जरिए अपना जीवन सफल बनाने का उपदेश दिया।
इस मौके पर मंदिर प्रांगण में गिरिराज पर्वत की झांकी सजाई गई एवं छप्पन भोग लगा कर श्रद्घालुओं को प्रसादी वितरित की गई।
परीक्षित धर्मेंद्र शर्मा मंजू शर्मा ने गोवर्धन महाराज जी को अन्नकूट प्रसादी अर्पित कर पूजा अर्चना की।
इस अवसर पर धर्मेंद्र शर्मा , बीरो लाला , गुरु चेतन शर्मा, बृज बिहारी कौशिक , आचार्य शिवकुमार शुक्ला शास्त्री , जगदीश कश्यप पुजारी जी, पारस शर्मा, मंजू शर्मा , भावना शर्मा , वीना मलिक , मीरा महेश्वरी ,शालू विकास , मधु महेश्वरी, नेहा कुमारी, वैष्णवी शर्मा, खुशी गुप्ता, रूपाली,कृष्णा, पायल, सौरभ , ममता शर्मा, विनय शर्मा, संतोष गुप्ता ,दीपक शर्मा, हरी सिंह यादव, महेश गुप्ता आदि मौजूद थे।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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