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हाथरस : वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को माँ गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी इसलिए इस पर्व को गंगा सप्तमी अथवा गंगा जयंती भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष संस्थान पर सोमवार को गंगा सप्तमी की पूजा अर्चना की गयी। जिसमें संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज,आचार्य गौरव शास्त्री,शिवम शास्त्री,ऋषभ शास्त्री ने गंगाजल से पूर्ण कलश का पूजन अर्चन किया और गंगा स्तुति का सामूहिक पाठ किया गया।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने गंगा सप्तमी के विषय में बताया कि आज के दिन माता गंगा का अवतार धरती पर हुआ था। आज के दिन गंगा मैया के स्मरण, पूजन और स्नान से धन-सम्पत्ति, सुख और यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का नाश होता है। ज्योतिषीय धारणा के अनुसार इस दिन गंगा पूजन से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। गंगा पूजन करना मोक्ष प्रदायक, अमोघ फलदायक माना गया है और इस दिन किया दान कई जन्मों के पुण्य के रूप में प्राणी को मिलता है। उन्होंने बताया कि आज पुष्य योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग जैसे काफी शुभ योग का भी निर्माण होने के कारण इस बार गंगा सप्तमी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने सभी धर्म प्रेमियों से अपील करते हुए कहा कि गंगा सप्तमी जैसे पर्व केवल मनाने के लिए नहीं बल्कि प्रदूषित हो रही माँ गंगा के जीर्णोद्धार के लिए भी स्मरण किये जाते हैं,यदि प्रति व्यक्ति गंगा स्वच्छता पर ध्यान दे तो आज पतित पावनी के स्वयं के पतित नहीं देखने को मिलेंगे हम लोग गंगा स्नान करने जाते हैं परन्तु अपने गंदे वस्त्र एवं अन्य पूजा सामग्री भी गंगा में प्रवाहित करते हैं,यही नहीं आजकल ज्यादातर बड़े बड़े उद्योगो का प्रदूषित जल सीधे गंगा में वाहित कर दिया जाता है इसपर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए जिससे कि जीवनदायिनी माँ गंगा के जीवन स्तर में सुधार हो सके पूजन अर्चन के बाद खरबूज,तरबूज आदि फल वितरित किये गए।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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