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किसी भी कार्य से पूर्व माँ कूष्‍मांडा का स्मरण मात्र दिलाता है सफलता : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
अलीगढ। विश्व कल्याण की मंगलकामना के लिए देवी दुर्गा की पूजा के पावन नौ दिवसीय शतचंडी अनुष्ठान के तहत वैदिक ज्योतिष संस्थान पर चौथे दिन की पूजा अनुष्ठान एवं अर्चन किया गया।
शुक्रवार को स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री,रवि शास्त्री,ओम वेदपाठी एवं ऋषभ शास्त्री आदि आचार्यों ने मुख्य यजमान अंकित पालीवाल, नेहा पालीवाल द्वारा देवी के चतुर्थ स्वरुप कूष्‍मांडा का विधिवत पूजन किया और फल,श्रंगार पेटिका,साडी आदि देवी को भेंट करके गुलाब और कनेर के फूलों से अर्चन किया।
स्वामी पूर्णानंदपुरीजीमहाराज ने देवी के चतुर्थ रूप की पूजा के दौरान बताया कि 8 भुजाओं को धारण किये हुए दिव्‍य शक्ति मां पराम्बा परमेश्‍वरी दुर्गा का रूप हैं। इनकी पूजा से सभी अभीष्‍ट कार्य पूर्ण होते हैं और जिन कार्य में बाधा आती हैं वे भी बिना किसी रुकावट के संपन्‍न हो जाते हैं। मां कुष्‍मांडा की पूजा करने से भक्‍तों को सुख और सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। देवी पुराण में बताया गया है कि पढ़ने वाले छात्रों को मां कुष्‍मांडा की पूजा नवरात्रि में जरूर करनी चाहिए। मां दुर्गा उनकी बुद्धि का विकास करने में सहायक होती हैं। देवी पूजा के बाद महाआरती और स्तुति का पाठ किया गया जिसमे दर्जनों लोगों ने भाग लिया।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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