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शक्ति की आराधना के नौ दिवसीय महापर्व नवरात्रि का आरंभ आज से देशभर में हो रहा है,इस दौरान माँ दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा अलग अलग दिनों में की जाती है,और प्रथम दिन माँ शैलपुत्री देवी की पूजा का प्रारंभ कलश स्थापन के साथ हो जाता है। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि चैत्र नवरात्रि के साथ ही सनातन नव वर्ष अथवा नव संवत्सर का आरंभ हो जाता है। सृष्टि के आरम्भ से 1अरब95 करोड58लाख85हजार125वर्ष बाद काल नाम का विक्रम संवत 2081 लग रहा है जिसके राजा मंगल और मंत्री शनिदेव रहेंगे।
प्रतिपदा तिथि और कलश स्थापन मुहूर्त के विषय में स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि गत सोमवार रात्रि 11:51 मिनट से प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो चुकी है जो कि आज रात्रि 8:29 मिनट तक रहेगी। घटस्थापन का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:24 मिनट से लेकर प्रातः 10:28 मिनट तक रहेगा साथ ही इस दिन अभिजीत मुहूर्त में अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत योग का निर्माण भी हो रहा है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 मिनट से शुरू होगा जो कि 12:54 मिनट तक रहेगा साथ ही अमृतसिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग 9 अप्रैल को प्रातः 07:32 मिनट से लेकर पूरे दिन रहेगा।
कलश स्थापन विधि के बारे में स्वामी जी ने कहा कि कलश की स्थापना पूर्व या उत्तर दिशा अथवा ईशान कोण में की जाती है। पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और चावल से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान करें इसके बाद मिट्टी अथवा तांवे के कलश में जल, गंगाजल,चांदी का सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डाले और स्वस्तिक बनाकर गर्दन में कलाबा बांधकर बालू या पीली मिट्टी में मिलाये हुए जौ के ऊपर रखे । कलश में 5 आम के या अशोक के पत्ते रखकर एक पात्र में चाबल भरकर पूर्ण पात्र के रूप में ढक दें ऊपर से नारियल में कलावा बांधकर रोली से स्वास्तिक बनाकर ऊपर से एक चुनरी उड़ा कर कलश स्थापित करें।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में नव वर्ष का उत्सव एक या दो दिन नहीं बल्कि नौ दिनों देवी की पूजा के साथ किया जाता है,जो कि नारी सशक्तिकरण का अनूठा उदाहरण है उन्होंने कहा कि इस संवत्सर का स्वागत सभी लोग अपने घर की छतों पर ध्वज पताका फहराकर और अपने घर में प्रतिदिन अच्छे सकारात्मक वातावरण के साथ माँ दुर्गा की आराधना कर दीपक जलाएं।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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