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सिकंदराराऊ : वाग्धारा साहित्य संस्था की कवि गोष्ठी कवि ओम प्रकाश सिंह एडवोकेट के निवास भारती भवन सैलानी बिहार कॉलोनी में आयोजित हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता कवि भद्रपाल सिंह चौहान तथा संचालन कवि ओम प्रकाश सिंह एडवोकेट ने किया। कवि गोष्ठी में विश्व विख्यात भारत के श्रेष्ठतम गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना का कवि ओम प्रकाश सिंह एडवोकेट ने शाल उड़ाकर सत्कार किया। कवि गोष्ठी का आरंभ कवि आशुतोष ने सरस्वती वंदना से इस प्रकार किया-
मेरी मां शारदे, सारा तम मार दे।
शब्द मंत्र से बने, वेद ऋचा से तने।।
सरस्वती वंदना के बाद चंद्र कवि ने अपनी कविता पढ़ी –
समाज सुधार कवि का प्रण है
कविता कवि का आभूषण है।
कवि ओम प्रकाश सिंह एडवोकेट ने अपने स्वर इस प्रकार दिए –
छोटे छोटे बंदर हनुमान बन रहे।
माटी के पुतले भगवान बन रहे।।
जिनकी औकात दो कोड़ी नही है।
पटेल , बॉस से भी महान बन रहे।।
प्रसिद्ध हास्य व्यंग्यकार देवेंद्र दीक्षित शूल ने इस प्रकार सुनाया –
आया है नया दौर, नया मन बनाइए।
स्वार्थ त्याग राष्ट्र की, धारा में आइये।।
धन कमाकर घर चलाना अच्छा काम है
पर दूसरे का दिल दुखा ना धन कमाइये।।
विश्व विख्यात भारत के श्रेष्ठतम गीतकार डॉक्टर विष्णु सक्सेना ने अपने मधुरिम स्वर में इस प्रकार गाया-
एक दुआ जिंदगी से दूर जलजला करदे।
एक ही भूल जिंदगी को चुटकला करदे।।
किसी की याद तो दीमक की तरह होती है।
रखो सहेज के तो तन को खोखला कर दे।।
कवि भद्रपाल सिंह चौहान ने अपने स्वर में यह कविता सुनाई –
लेकर नाव चला नाविक, कश्ती मंजिल की तरफ मोड़ दी।
लहरों से तूफान से डर कर, उसने अपनी आश छोड़ दी।।
कवि गोष्ठी में मुख्य रूप से सुरेंद्र यादव, सत्यपाल यादव, राधेश्याम , आशुतोष उपाध्याय, तरुण जादौन, रोहित तोमर उपस्थिति थे।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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