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अलीगढ : सनातन धर्म के प्रचार प्रसार हेतु उ.प्र. के ललितपुर जनपद में सिद्धपीठ श्री चंडी धाम पर प्रतिदिन चल रहे नवकुंडात्मक श्री श्री 1008 लक्ष्मीनारायण महायज्ञ एवं सवा करोण पार्थिव शिव रुद्राभिषेक के तहत शनिवार को विशाल पार्थिव शिव रुद्राभिषेक एवं विद्यालयों के बच्चों का सम्मान किया गया,जिसमे भारत के विभिन्न स्थानों से आये संत महात्माओं ने अपने प्रवचनों के माध्यम से भक्तों को आशीर्वाद दिया।
ललितपुर में श्री चंडी पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी श्री चंद्रेश्वर गिरी के सानिध्य में चल रहे विशाल नवकुण्डीय श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ एवं सवा करोड़ पार्थिव शिव लिंग निर्माण अनुष्ठान के तहत प्रतिदिन यज्ञ एवं पूजन अर्चन किया जा रहा है जिसमे शनिवार को देश के तमाम हिस्सों से संतों ने सम्मिलित होकर भगवान शिव का अभिषेक एवं अर्चन किया इस अवसर पर अलीगढ से वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने इस विशाल अनुष्ठान में अपनी उपस्थित दी। प्रातः कालीन बेला में जिले के विभिन्न स्कूलों के बच्चो द्वारा 25 हजार हनुमान चालीसा पाठ किया गया जिसके सम्मान स्वरुप विद्यालयों के प्राचार्य एवं प्रबंधकों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उसके बाद 51 ब्राह्मणों द्वारा देवी चंडी के पाठों से महायज्ञ में आहुतियाँ दीं गयीं तत्पश्चात लगभग 10 लाख पार्थिव शिवलिंगों का दूध, दही, घी, शहद, बूरा, पंचामृत से अभिषेक किया गया।
चंडी पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी श्री चंद्रेश्वर गिरी जी महाराज ने अपने आशीर्वचनो के माध्यम से हजारों की संख्या में उपस्थित भक्तों के सम्मुख कहा कि सनातन परम्परा के निर्वहन हेतु संतों द्वारा समय समय पर विशाल अनुष्ठान कराये जाते हैं जिससे कि आधुनिक पीढ़ी में संस्कारों का विकास हो सके। उन्होंने बताया कि आज की शिक्षा केवल किताबी ज्ञान बन रहा है जहाँ प्रतिस्पर्धा की रेस में संस्कारों का अभाव देखने को मिल रहा है। संस्कारी पुत्र,पुत्री,बहू सबको चाहिए लेकिन अपने बच्चों में संस्कार देने के लिए किसी के पास समय नहीं है यही मुख्य कारण है कि आजकल लव जिहाद और धर्मान्तरण जैसी घटनायें देखने को मिल रहीं है। संतों के माध्यम से बच्चो सहित परिवार में संस्कारित माहौल बनता है।
रुद्राभिषेक मे अलीगढ़ का प्रतिनिधित्व कर रहे वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि स्कूलों में किताबों के ज्ञान के साथ संस्कारों का होना अत्यंत जरूरी है। क्योंकि किताबें केवल परीक्षा में उत्तीर्ण कर सकतीं हैं परन्तु समाज में संस्कारों की अहम भूमिका है। अनुष्ठान में आचार्य गौरव शास्त्री,हीरानंदगिरी जी महाराज,कथा व्यास आचार्य शिवम शास्त्री, प्रमोद मिश्रा,दीपेश राजोरिया,उत्कर्ष अग्निहोत्री सहित हजारों की संख्या में उपस्थित रहे।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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