Visitors have accessed this post 197 times.
सिकंदराराऊ : महाराणा प्रताप राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संस्कृत सप्ताह बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्राचार्या प्रोफेसर शैफाली सुमन की अध्यक्षता में एक संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम के शुभारंभ में बी.ए. द्वितीय वर्ष की छात्रा कुमारी गगन ने सरस्वती वंदना तथा बी.ए.तृतीय वर्ष की छात्राओं कुमारी कुंती एवं नेहा ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। स्वागत की परंपरा में प्राचार्या ने अतिथियों को प्रतीक चिह्न भेंट किए । इस अवसर पर राजकीय महाविद्यालय गोण्डा इगलास से संस्कृत विभाग के प्रोफेसर वीर पाल तथा राजकीय महाविद्यालय गभाना अलीगढ़ की संस्कृत विभाग की डा. दीपशिखा महाविद्यालय में व्याख्यान हेतु उपस्थित हुईं।
प्रोफेसर वीरपाल ने भाषाओं के विकास में संस्कृत का योगदान विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि संस्कृत भारोपीय परिवार को भाषा है।तमिल, तेलुगु, हिंदी, कन्नड़, मलयालम आदि भाषाएं संस्कृत से जन्मी हैं। पारसी ग्रंथ ‘अवेस्ता’ ऋग्वैदिक काल की संस्कृत से मेल खाता है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी संस्कृत के आचार्य सुश्रुत,आचार्य चरक एवं बागभट्ट के योगदान पर प्रकाश डाला। डा. दीपशिखा ने ‘संस्कृत की उपयोगिता’ विषय पर बोलते हुए वैयाकरण पाणिनि,पतंजलि और कात्यायन का जिक्र किया तथा संस्कृत की वर्णमाला और माहेश्वर सूत्र के निर्माण पर प्रकाश डाला। इन्होंने बताया कि संस्कृत का साहित्य बहुत विस्तृत है। वेद दर्शन और योग पर बोलते हुए कहा कि जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष को संस्कृत द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
प्रोफेसर सैफाली सुमन संस्कृत को अत्यंत समृद्ध भाषा बताया। भारत और भारतीय संस्कृति के विकास के लिए संस्कृत के ज्ञान पर जोर दिया।इससे मानवीय मूल्यों का विकास होता है अतः संस्कृत ग्रंथों का सभी छात्र छात्राओं को अध्यन करना चाहिए।
प्रोफेसर मंजु उपाध्याय ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि संस्कृत दिवस श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जाता है। ‘संस्कृत की वैज्ञानिकता’ विषय पर बोलते हुए ऋग्वेद का एक मंत्र उद्धृत किया-
आकाशाद् वायुर्वायोरग्निरग्नेरापोsदभ्यः पृथ्वी।
आकाश से स्पंदन हो कर वायु उत्पन्न हुआ। वायु से अग्नि,अग्नि से जल और जल से पृथ्वी आविर्भुत हुई जब तक वैज्ञानिकों ने इस श्रष्टि के क्रम की खोज नहीं की। तब तक संस्कृत में अग्नि से मानी गई। जल की उत्पत्ति को व्यक्ति असंभव मानते थे। डा.जितेंद्र परमार ने संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए सरकार द्वारा चलाए गए कार्यक्रम की छात्र छात्राओं को जानकारी दी।
इस अवसर पर महाविद्यालय के डा.हिमांशु राय, डा.गोविंद अग्रवाल, डा.अजब सिंह, अरबेश कुमार एवं ब्रजमोहन उपस्थित हुए। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
यह भी देखें :-