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वैशाख कृष्ण अमावस्या को वर्ष का पहला सूर्यग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा
ग्रहण के दौरान किया गया जप अनंत फलदायी : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
सिकंदराराऊ
इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख माह के कृष्ण पक्ष अमावस्या यानि 20 अप्रैल को लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा । बल्कि चीन, अमेरिका, मलेशिया, फिजी, कंबोडिया, जापान, समोआ, सिंगापुर, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वियतनाम, बरूनी, सोलोमन, दक्षिण हिन्द महासागर, दक्षिण प्रशांत महासागर और ताइवान में नजर आएगा जिस कारण से इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार 20 अप्रैल को प्रातः 7:04 मिनट से ग्रहण की अवधि प्रारम्भ होगी जो कि दोपहर 12:29 तक लगभग 5 घंटे 24 मिनट तक रहेगी।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि सूर्य ग्रहण सूतक ग्रहण लगने से पूर्व 12 घंटे से सक्रिय हो जाते हैं। परन्तु भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं दिखने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन फिर भी गर्भवती स्त्रियां और पशुओं को ग्रहण के सूतककाल में सावधानी वरतनी चाहिए इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य, पूजा और खाना इत्यादि नहीं बनाया जाता है तथा धारदार वस्तुओं का प्रयोग भी निषेध रहता है, सूतक काल में गर्भवती स्त्रियों के गर्भ से हल्का गेरू लगाने से इसका प्रभाव कम होता है। साथ ही सूतक से पूर्व बने हुए भोजन के ऊपर कुशा, तुलसी के पत्ते आदि रखने से भोजन दूषित होने से बच जाता है।
स्वामी जी ने बताया कि ग्रहण काल के दौरान किए गए जप, तप और पूजा का कई गुना ज्यादा फल मिलता है, इस समय भगवान की उपासना एवं आराधना करने से ग्रहण का प्रभाव भी मनुष्य के जीवन पर नहीं पड़ता है।
ग्रहण समाप्ति के उपरांत किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दानपुण्य करना भी विशेष फलदायी रहता है।
स्वामी जी ने बताया कि यह कंकणाकृति सूर्य ग्रहण भारत में किसी भी स्थान से दिखाई नहीं देगा, अतः इसके किसी भी प्रकार के सूतक-पातक दोष मान्य नहीं होंगे एवं ग्रहण से सम्बंधित किसी उपचार की आवश्यकता नहीं है।14 अक्टूबर 2023 आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या शनिवार वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण भी भारत में कहीं नहीं दिखेगा।