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आज राधाकृष्ण कृपा भवन आगरा रोड के सभागार में बृज कला केन्द्र के बैनरतले राष्ट्रीय कवि संगम के सहयोग से 1857 में स्वतंत्रता की अलख जगाकर अंग्रेजों का फांसी का फन्दा चूमने बाले शहीद मंगल पांडे शहीद तथा सूत्रधार मातादीन बाल्मीकि को स्मरण किया।
कारतूस निर्माण फैक्ट्री में कार्यरत मातादीन बाल्मीकि से मंगल पांडे को ज्ञात हुआ कि जो कारतूस मुंह से खोलते हैं उनके मुंह पर गाय या सूअर की चर्बी है।
यह सुनते ही सिपाही मंगल पांडे
ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह अंग्रेजी अफसरों को मौत के घाट उतार दिया।बाद में पूरी सेना ने विद्रोह कर दिया। अंग्रेजी शासन ने 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को तथा बाद में कारतूस का रहस्य बताने के लिए मातादीन बाल्मीकि को फांसी के फन्दे पर चढा दिया।
इस अवसर पर शहीद मंगल पांडे तथा शहीद मातादीन के छविचित्रों पर माल्यार्पण कर काव्यमयी स्मृति करते हुऐ अनिल बौहरे ने यूं संचालन प्रारम्भ किया
29 मार्च 1857 किया अंग्रजों पर हमला,
मंगल पांडे ने भुला दी अंग्रेजों को इमला।
अंग्रेज इन हमलों और सैनिक विद्रोह से हुए हीन।
कारतूस रहस्य सूत्रधार फांसी पर लटका दिये मातादीन।
साहित्यकार गोपाल चतुर्वेदी ने कहा
वीर शहीदों को सौ सौ नमन।
बलिदान याद रखेगा बतन।।
श्याम बाबू चिंतन ने पढा
क्रान्ति के अगुआ बने,
अमर रहेगा इनका नाम।
दीपक रफी
मंगल पांडे आपको नमन,
युवाओं के सितारे नयन।
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य
मंगल पांडे मातादीन का बलिदान,
स्वतंत्रता आन्दोलन के सिपाही
महान।
अन्य स्मृति कर्ताओं में काव्य प्रस्तुत कवयित्री मीरा दीक्षित,मनु दीक्षित,बीना गुप्ता एडवोकेट थी।मुख्य अतिथि श्री विद्यासागर विकल तथा विशिष्ट अतिथि आमना वेगम थे
श्रृद्धांजलि अर्पित करने बाले अन्य हरीशंकर वर्मा,रिशी कोशिक,गिर्राज सिंह गहलोत,
अविनाश पचौरी, बाला शर्मा आदि थे।
अध्यक्षता बृज कला केन्द्र सचिव श्रीमती वीना गुप्ता एडवोकेट ने की। संचालन आशु कवि अनिल बौहरे ने किया। इस अवसर पर दिनेश राज कटारा सुनील शर्मा कपिल नरूला, सन्तोष उपाध्याय, सत्यम वशिष्ठ आदि मौजूद थे |

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