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सिकंदराराऊ : माँ दुर्गा की अराधना हेतु नवरात्रि का समय सबसे शुभ माना जाता है। साल भर में तीन महीने के अंतराल में कुल चार बार नवरात्रि मनाई जाती है जिनमें दो गुप्त नवरात्रि और दो सामान्य होती हैं साल की पहली गुप्त नवरात्रि माघ महीने में आती हैं जो कि आज यानि रविवार  प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होकर 30 जनवरी नवमी तिथि तक रहेगी।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने रविवार से प्रारम्भ हो रही गुप्त नवरात्रि के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य नवरात्रि में देवी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है,लेकिन गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की उपासना एवं साधना की जाती है जिसमें साधक को कठोर नियमों का पालन कर व्रत के साथ साधना करनी होती है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने नवरात्रि पूजा मुहूर्त के बारे में बताया कि आज प्रातः 02:22 मिनट से प्रतिपदा तिथि आरम्भ होकर रात्रि 10:27 तक रहेगी।कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:11 से 12:54 तक रहेगा अतः प्रातःकालीन क्रियाओं से निवृत होकर स्नानादि के पश्चात तांबा या मिट्टी के कलश में गंगाजल लेकर कलश के नीचे बालू में जौ कि बुवाई करके कलश के अंदर चांदी का सिक्का डालकर अशोक के पत्तों एवं नारियल के साथ देवी का स्वरूप देकर चुनरी ओढ़ाकार बालू के ऊपर सजायें और रोली चावल आदि से देवी दुर्गा का पूजन कर सप्तशती पाठ करें क्योंकि गुप्त नवरात्रि को सिद्धि और कामनापूर्ति के लिए माना जाता है तथा गुप्त नवरात्रि के दौरान मां शक्ति की साधना करने से जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि, इस दौरान भगवान विष्णु शयनकाल की अवधि में होते हैं और ऐसे में देव शक्तियां कमजोर होने लगती है तथा पृथ्वी पर रुद्र, यम, वरुण आदि का प्रभाव बढ़ने लगता है, इन्हीं विपत्तियों के बचाव के लिए गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है।

vinay

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