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हाथरस: जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिऐशन द्वारा एक पत्र अपर जिला सूचना अधिकारी हाथरस को सौंपते हुये जिला प्रेस स्थायी समिति की बैठक कराये जाने की मांग को लेकर अवगत कराया कि पत्रकारों की समस्याएं निरंतर बढ़ रही हैं तथा हमारे संगठन पर लिखित एवं मौखिक रूप से शिकायतें आ रही हैं। इसी क्रम में एसोसिऐशन ने अपने पदाधिकारियों के साथ मिलकर एक पत्र अपर सूचना अधिकारी हाथरस को सामूहिक रूप से पत्र भेंट किया है तथा मांग की है कि शीघ्र ही अस्थायी समिति की बैठक कराई जाये। अस्थायी समिति की बैठक होना अतिआवश्यक इस लिए है कि हाथरस के सी.एम.ओ. द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार के साथ अभद्रता की गई तथा उन्हें डरा धमका कर एक पत्र लिखाया गया। कहा गया कि हम कहें वो पत्र पर लिखो अन्यथा राज कार्य में बाधा डालने के आरोप में तुम्हें जेल भिवजा देंगे। भयभीत हुये पत्रकार द्वारा सी.एम.ओ. के द्वारा शब्द-शब्द को यूं कीत्यूं एक पत्र पर लिख दिया गया। जिसमें पत्रकार द्वारा मांफी मांगने की बात कही गई है। घटना के सम्बन्ध में जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिऐशन के अध्यक्ष महेश चंदेल व महा सचिव नीरज चक्रपाणि सी.एम.ओ. से मिले तो उन्होंने यह बात स्वीकारी थी कि उनके द्वारा एक पत्र लिखवाकर रख लिया गया है तथा उन्होंने बताया कि कोई व्यक्ति मुझसे ऊंचे स्वर में बोलता है तो मेरा बी.पी. हाई हो जाता है। उसी का परिणाम था पत्रकार के साथ घटना हुई। सी.एम.ओ. हाथरस से पत्रकार द्वारा यह पूछ लेना भारी पड़ गया था कि सिकन्द्राराऊ के हॉस्पीटल सीज मामले में सीज खुलवाने व अधिकारियों के नाम पर एक बाबू द्वारा 20 हजार रूपये की रिश्वत ली गई। जिसका वीडियो वायरल हुआ था। उसमें सी.एम.ओ. द्वारा जांच कराने की बात कही गई थी। उसे लेकर पत्रकार ने यह पूछ लिया था कि वायरल वीडियो रिश्वत खोरी के मामले में क्या हुआ। जिस पर आक्रोशित सी.एम.ओ. हाथरस ने पत्रकार के साथ अभद्रता की तथा गुंडागर्दी का परिचय दे डाला। एक ओर जनपद का महत्वपूर्ण जिम्मेदाराना काम दूसरी ओर इस तरह की घटना किये जाना आश्चर्यचकित तो है ही निंदनीय कार्य भी है। वैसे भी सी.एम.ओ. हाथरस काफी दिनों से किसी न किसी कार्य के लिए चर्चा का विषय बने रहते हैं। पिछले दिनों शासन की प्राथमिकता वाले कार्यों की अक्टूबर माह की प्रगति के आधार पर समीक्षा बैठक कमिश्नरी सभागार में हुई। इस दौरान मण्डलायुक्त ने सी.एम.ओ. हाथरस को कार्य व्यवहार में सुधार लाने के निर्देश दिये थे और कहा था कि स्थानीय जिलाधिकारी एवं अपर निदेशक स्वास्थ्य से समन्वय बनाकर रखें। बिना अनुमति के बैठक से गायब न हों। लेकिन इनकी कार्यशैली में कोई खास फर्क नहीं है। यह अपनी आदत से मजबूर हैं। जब मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में विकास कार्यों की मण्डलीय समीक्षा बैठक जन कल्याणकारी योजनाओं के संचालन में सी.डी.ओ. सतर्कता सहित कई अधिकारी मौजूद थे और यह अचानक गायब हो गये। हाथरस का नाम तो स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही कुछ नहीं कर रखा है। मथुरा के रेलवे स्टेशन से एक बच्चे को उठा ले जाने के मामले में भी हाथरस के एक संविदाकर्मी का नाम प्रकाश में आया था। उक्त मामले में भी सी.एम.ओ. द्वारा हॉस्पीटल सीज किये गये थे। लेकिन आज भी अनगिनत हास्पीटल अवैध रूप से चल रहे हैं। यह भी सी.एम.ओ. के क्रपा पात्र हैं। शीघ्र ही जिला मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिऐशन जिलाधिकारी व मण्डलायुक्त को इनकी करतूतों से अवगत करायेंगे। वहीं पत्रकार को न्याय न मिला तो एसोसिऐशन भारतीय प्रेस परिषद, नई दिल्ली की शरण लेकर न्याय की गुहार करेगी।