Visitors have accessed this post 317 times.
सिकंदराराऊ : आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत संविलियन विद्यालय कपसिया में विद्यालय के बच्चों को राष्ट्रीय ध्वज के महत्व के विषय पर चर्चा कर उन्हें जानकारी दी गयी। इस अवसर पर बच्चों ने तिरंगे झंडे को हाथ में लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। साथ ही 11 से 17 अगस्त तक प्रत्येक घर में राष्ट्रीय ध्वज फहरे इसके लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया गया।
इंचार्ज प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी। इसे 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था। इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी जो देश की ताकत और साहस को दर्शाती है, बीच में श्वेत पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत देती है ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाती है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें 24 तीलियां होती हैं। यह इस बात प्रतीक है कि भारत निरंतर प्रगतिशील है। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व इसका रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप में ही भारत की एकता, शांति, समृद्धि और विकास को दर्शाता हुआ दिखाई देता है। विद्यालय के अध्यापकों के द्वारा बच्चों से आव्हान किया गया कि वो अपने घरों में तो झण्डा लगाए ही साथ ही इसके लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।
इस अवसर पर शिक्षक रूपेन्द्र सिंह, विमल कुमार, शिक्षामित्र संदीप कुमार, पुष्पा देवी,रसोइया राधा, सुनीता, ममता, गुड्डी देवी तथा विद्यालय के छात्र व छात्राएं तथा क्षेत्र के गणमान्य लोग मौजूद रहे।
यह भी देखें :-