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सिकंदराराऊ: तहसील क्षेत्र के नगला सकत में किसानों ने चकबंदी लेखपाल और कानूनगो पर रुपए लेकर चकबंदी करने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया । चकबंदी लेखपाल और कानूनगो ने कागजों में गोलमाल करके उपजाऊ और कीमती जमीन वाले ग्रामीण किसानों को बंजर, ऊसर व गड्ढा वाली जमीन देदी और जिन पर बंजर खेत थे उन्हें सुविधा शुल्क लेकर उपजाऊ और कीमती के साथ जमीन आवंटित कर दी।किसानों ने पैसे लेकर चकबंदी करने का लगाया है।
सिकंदराराऊ तहसील क्षेत्र के गांव नगला सकत में कुछ समय पूर्व चकबंदी हुई है । जिसमें किसानों का आरोप है कि चकबंदी लेखपाल और कानूनगो द्वारा चकबंदी के दौरान किसानों से पैसों की मांग की गई थी, जिन लोगों ने पैसे दे दिए उन्हें उनकी खराब जमीन के बदले अच्छी और कीमती जमीन आवंटित की गई और कागजों में वैल्यू कम दिखा कर पहले से भी ज्यादा दे दी गई और जिन लोगों के द्वारा उनकी सेवा नहीं की गई। उन लोगों की अच्छी महंगी उपजाऊ जमीन के बदले उन्हें ऊसर और गड्ढा युक्त खेत दे दिए गए हैं। जिनकी कागजों में वैल्यू ज्यादा दिखाई गई है।
किसान रामगोपाल ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि जब गांव में चकबंदी आई तो लेखपाल और कानूनगो ने उससे 50 हजार रुपयों की मांग की थी और बदले में ज्यादा मालियत की जमीन देने का लालच दिया । परंतु पैसे न देने पर लेखपाल और कानूनगो के द्वारा उसकी उपजाऊ और मंहगी जमीन के बदले उसे ऊसर खेत आवंटित कर दिए हैं। जिसकी वेल्यू कम है। पर कागजों में ज्यादा दिखा दी है, जो उसकी उपजाऊ जमीन थी। वह उन लोगों को आवंटित कर दी गई जिन लोगों ने सुविधा शुल्क दिया था और कागजो में वैल्यू कम दिखा कर उन लोगों को पहले से भी ज्यादा जमीन दी गई है। उसके द्वारा लेखपाल और कानूनगो के इस अन्याय पूर्ण कार्य के खिलाफ सक्षम अधिकारियों के आगे अपील भी की गई। लेकिन उसकी आवाज अधिकारियों के आगे नक्कारखाने में तूती के समान रही और उसकी अपील को खारिज कर दिया गया। तब से वह अधिकारियों की चौखट पर दर-दर भटक रहा है लेकिन उसे न्याय नहीं मिल रहा है।
लेखपाल और कानूनगो के खिलाफ सोमवार को ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा और उन्होंने चकबंदी लेखपाल और कानूनगो के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया और चेतावनी दी है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे जल्दी ही जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करेंगे।