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सासनी : ब्राह्मण चेतराम धर्मशाला चल रही श्रीमद्भागवत में कथा व्यास श्री अंबिका प्रसाद व्यास जी ने षष्ठम दिवस में कहा कि राजा बलि द्वारा वामन भगवान को सर्वस्व दान देने के बाद स्वयं को भगवान के हवाले कर दिया तो भगवान ने भी उसके दरवाजे पर चैकीदार की जिम्मेदारी संभाल ली।
इतवार को कथा का सार बताते हुए आचार्य ने कहा कि जब राजा बलि ने अश्वमेघ यज्ञ किया तो इंद्र का सिंहासन हिलने लगा। इसे लेकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास गये और राजा बलि के इस यज्ञ को रोकने की प्रार्थना की ।तब भगवान वामन रूप धर राजा बलि के पास पहुंचे और राजा से तीन पग भूमि दान में मांगी। शुक्राचार्य राजा को रोकने के लिए जलपात्र मंे घुस गये । तब भगवान ने कुशाघास के तिनके से शुक्राचार्य की एक आंख फोड दी और राजा ने दान दिया तो भगवान ने दो पग में आका और धरती को नाम दिया तब तीसरे पग के लिए राज बलि ने भगवान के सामने अपना सिर झुका दिया। राजा को भगवान ने पाताल लोक भेज दिया। और बाद में वर मांगने को कहा तो राजा ने भगवान से कहा कि मैं जब भी घर से बाहर निकलूं तो आपके दर्शन हों तब भगवान ने राजा बलि के दरवाजे पर अपने को विजारमान कर लिया। इससे भगवान ने भक्त की लाज रखी और देवताओं की सहायता की। आचार्य ने कहा कि भगवान पर सर्वस्व न्यौछावर करने पर ही वह मनुष्य को मोक्ष प्रदान करते है। प्रातः कालीन आराधना में आचार्य खगेंद्र शास्त्री द्वारा यज्ञ पूजन आदि का विधिवत पूजन कराया जा रहा है। इस दौरान यजमान श्री कन्हैया श्रोती संजय श्रोती, शकुंतला देवी दिव्यांश रुद्रांश देवांश अतुल आरजू बोलूं हिमानी गुनगुन मनोज कुमार किशोर आदि मौजूद थे।
इनपुट : आविद हुसैन
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